एक साल में दुगुनी हुई बिहार की विकास की रफ्तार, विकास दर फिर से दोहरे अंक में
पिछले साल सुस्त पड़ चुकी बिहार के विकास की रफ्तार, इस वर्ष दुगुनी उछाल के साथ तेज हो गया है । पिछले वर्ष यह दर दहाई अंक (7.14 प्रतिशत) से नीचे चली गई थी। मगर वर्ष 2016-17 में यह फिर से दोहरे अंक में पहुंच गई है। यह जानकारी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1, अणे मार्ग स्थित नेक संवाद में दो चरण में मंत्रियों और प्रधान सचिवों के साथ बैठक में दिया ।
मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2016-17 में बिहार की विकास दर (वर्तमान/चालू दर) के आधार पर 14.8 प्रतिशत है, जबकि स्थिर दर पर यह 10.32 प्रतिशत रही।
बिहार में डबल डिजिट विकास दर हमारे लिए खुशी की बात है। बिहार के विकास में सब लोगों का सहयोग और योगदान है। – मुख्यमंत्री
पिछले 10 साल में बिहार की विकास दर
वर्ष विकास दर (%)
2016-17 14.8
2015-16 7.14
2014-15 13.02
2013-14 9.92
2012-13 14.5
2011-12 13.13
2010-11 14.77
2009-10 10.42
2008-09 11.44
2007-08 8.0
स्रोत : बिहार सरकार का आर्थिक सर्वेक्षण
विकास दर वृद्धि के 4 कारण
– निर्माण क्षेत्र में तेज प्रगति। रोजगार पैदा हुए।
– सर्विस सेक्टर-व्यापार, होटल, मरम्मत में उछाल।
– सरकार का टैक्स बेस बढ़ा। आय बढ़ी। निवेश बढ़ा।
– रोड ट्रांसपोर्टेशन क्षेत्र की बेहतरी की हिस्सेदार।
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि हमारा उद्देश्य उच्च शिक्षा में ग्रॉस इनरॉलमेंट रेशियो को बढ़ाना है। समाज में शांति के लिए जमीन से जुड़े मामले सुलझाएं।
प्रति व्यक्ति आय 13% बढ़ी
सीएम ने कहा कि बिहार में प्रति व्यक्ति आय वर्तमान/चालू दर पर 13.15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। प्रति व्यक्ति आय की बढ़ोतरी दर के मामले में बिहार का पूरे देश में दूसरा स्थान है। हमारा रास्ता न्याय के साथ विकास का है, समावेशी विकास का है तो सबको इसका लाभ मिले, यही हमलोगों की परिकल्पना है और इसी पर हम आगे बढ़ेंगे। धरातल पर लागू की गई हमारी योजनाओं का बड़ा प्रभाव पड़ा है। कस्बों में स्कूल भवनों के निर्माण का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे राज्य में निर्माण सामग्री की उपलब्धता बढ़ी। रोजगार भी पैदा हुए। योजनाओं को विकेन्द्रीकृत तरीके से लागू करने से विकास की गति बढ़ी है।