एक क्लीक पर सिंचाई…
गया : गया जंक्शन से सटे पश्चिम की ओर लगे छोटकी डेल्हा के निवासी इंजीनियर प्रभात कुमार सरकारी नौकरी छोड़कर ड्राप सिंचाई तकनीक से 64 किस्म की सब्जी और फलों की खेती कर रहे हैं। प्रभात ने खेती के साथ ही 27 गांवों के कई किसानों को इस विधि से खेती का गुर सिखाया। सब्जियों की सिंचाई एक एसएमएस करने से हो जाती है।
प्रभात ने बताता कि मोबाइल के एक विशेष ऐप्स और एसएमएस के सहारे पौधों की सिंचाई की जाती है। जब मैं किसी काम से घर से बाहर चला जाता हुँ तो एसएमएस के सहारे पौधों की सिंचाई कर लेेता हुँ। पौधों की सिंचाई सिस्टम कोडर और डिकोडर प्रणाली से जुड़ा है। जो अपने आप 10 मिनट सिंचाई के बाद रुक जाता है।
टाइमर के जरिये भी पौधों की सिंचाई होता है। टाइमर के जरिये उसमे टाइम फिक्स किया जाता है और उसी फिक्स टाइम पर पौधों में सिंचाई होनी शुरू हो जाती है।
इसके लिए सभी पौधों में पानी का पाइप लाइन बिछाया गया है। जो बूंद-बूंद कर पौधों को सींचता है। टपक विधि से खेती करने पर यह विशेषता है कि कम पानी में अच्छी खेती की जा सकती है।
27 गांवों के कई किसानों को सिखा रहे खेती के गुर
प्रभात अपने इंजीनियर दोस्तों के सहयोग से माइक्रो एक्स फाउंडेशन संस्था के माध्यम से गया के दूर दराज इलाकों के किसान इस टपक विधि से खेती की जानकारी देते हैं। वह अपनी देखरेख में सैकड़ों किसानों को टपक विधि से खेती कराकर उन्हें नई दिशा दे रहे हैं। प्रभात पिछले 3 वर्षो से इस विधि से खेती कर रहे है। अपने घर की छत पर 64 प्रकार की सब्जी और फल की खेती कर रहे है। प्रभात का कॉन्सेप्ट है कि सड़ी सब्जी से लेकर हरी सब्जी को फेंकना नहीं है। सड़ी गली सब्जियों और बेकार पौधों को गलाकर वह खाद के रूप फिर खेतों में डालकर खेतों को पैदावार को बढ़ाने के उपयोग करते है। ये पौधे थर्मोकोल के बक्से में मिट्टी डालकर लगाए गए हैं।
प्रभात अपने इंजीनियर दोस्तों के सहयोग से माइक्रो एक्स फाउंडेशन संस्था के माध्यम से गया के दूर दराज इलाकों के किसान इस टपक विधि से खेती की जानकारी देते हैं। वह अपनी देखरेख में सैकड़ों किसानों को टपक विधि से खेती कराकर उन्हें नई दिशा दे रहे हैं। प्रभात पिछले 3 वर्षो से इस विधि से खेती कर रहे है। अपने घर की छत पर 64 प्रकार की सब्जी और फल की खेती कर रहे है। प्रभात का कॉन्सेप्ट है कि सड़ी सब्जी से लेकर हरी सब्जी को फेंकना नहीं है। सड़ी गली सब्जियों और बेकार पौधों को गलाकर वह खाद के रूप फिर खेतों में डालकर खेतों को पैदावार को बढ़ाने के उपयोग करते है। ये पौधे थर्मोकोल के बक्से में मिट्टी डालकर लगाए गए हैं।
इंजिनीरिंग में सरकारी पद पर थें प्रभात
प्रभात ने बंगाल से इंजियनरिंग की पढ़ाई के बाद गुजरात में पोएसयू विभाग में सरकारी नौकरी की। कई देशों के भृमण के दौरान उन्होंने देखा की गांव के किसानों की दशा आज भी वैसे ही है।
प्रभात का पूरा परिवार खेती पर निर्भर है। जिसके कारण एक-एक समस्या से अवगत थे। इसलिए वह खेती के मॉडल पर सोचने को मजबूर हो गए और नौकरी छोड़ दी। वह नई तकनीक का इजाद किया और सफल होने के बाद वह किसानों के लिए आदर्श बन गए।
प्रभात का पूरा परिवार खेती पर निर्भर है। जिसके कारण एक-एक समस्या से अवगत थे। इसलिए वह खेती के मॉडल पर सोचने को मजबूर हो गए और नौकरी छोड़ दी। वह नई तकनीक का इजाद किया और सफल होने के बाद वह किसानों के लिए आदर्श बन गए।