चार दिन का अल्टिमेटम खत्म, तेजस्वी को बर्खास्त कर सकते हैं नीतीश !
उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने अगर इस्तीफा नहीं दिया तो उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त भी किया जा सकता है। जदयू के स्तर पर इस विकल्प पर मंथन चल रहा है। बर्खास्तगी को मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार बताया जा रहा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजनीतिक शुचिता के प्रश्न पर जदयू विधायकों व पदाधिकारियों की बैठक में पिछले दिनों काफी ठोस अंदाज में अपनी बात रख चुके हैैं। पार्टी के स्तर पर भी इस स्टैैंड को समर्थन हासिल है।
बिहार में मचे सियासी घमासान के बीच आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद अपनी-अपनी पार्टी नेताओं के साथ बैठक करेंगे. बैठक में नीतीश कुमार कोई कड़ा फैसला ले सकते हैं. नीतीश ने तेजस्वी को सफाई देने के लिए शनिवार शाम तक का समय दिया था, लेकिन उपमुख्यमंत्री ने न तो सफाई दी और न ही इस्तीफा. इसी को देखते हुए ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि रविवार को सरकारी आवास पर होने वाली बैठक में नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. गौरतलब है कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख ने अपने बेटे तेजस्वी के इस्तीफे से साफ इनकार कर दिया था. हालांकि उन्होंने कहा था कि गठबंधन बना रहेगा. वहीं, आरजेडी (राजद) भ्रष्टाचार को लेकर की गई सीबीआई की कार्रवाई को’राजनीति से प्रेरित’ करार दे रही है.
बर्खास्तगी का तर्क
तेजस्वी की बर्खास्तगी के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि नीतीश कुमार की इमेज रही है कि उन्हें भ्रष्टाचार का आरोपी बर्दाश्त नहीं। वे जदयू विधायकों की बैठक में पूरी बात कह चुके हैं। यही नहीं इस्तीफे के कई दृष्टांत पर भी बात की थी। यह बात सामने आने के बाद भी तेजस्वी प्रसाद ने इस्तीफे से इनकार किया। ऐसे में राजनीतिक शुचिता की बात आगे कर यह कहा जा रहा कि दो विचारधारा का एक साथ चल पाना संभव नहीं।
महागठबंधन पर आंच आना तय
जदयू नेताओं से जब इस संबंध में पूछा गया कि तेजस्वी प्रसाद यादव की बर्खास्तगी की स्थिति में महागठबंधन का क्या होगा तो इस बाबत जदयू के दिग्गजों ने कहा कि महागठबंधन चलाना केवल जदयू की जिम्मेवारी नहीं है। इसके लिए तो महागठबंधन के सभी घटक दलों को काम करना है।
लालू यादव का यह रुख नया नहीं है
1990 के दौरान जब वह मुख्यमंत्री थे, तो समूचा विपक्ष चारा घोटाले के आरोप में उनसे इस्तीफे की मांग कर रहा था, लेकिन लालू ने तब तक इस्तीफा नहीं दिया, जब तक कि कोर्ट ने उनके खिलाफ ऑर्डर जारी नहीं कर दिया. लालू ने 1997 में कोर्ट द्वारा उनकी गिरफ्तारी का आदेश जारी किए जाने के बाद इस्तीफा दिया था. मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने पर उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंप दी थी. इस समय लालू अपनी इसी पुरानी रणनीति पर काम करते हुए नजर आ रहे हैं. दो दशक बाद आज उनकी पार्टी लगभग उसी स्थिति से गुजर रही है लेकिन अब सरकार गठबंधन की है.