ऐवरेस्ट पर चढ़ने वाली विश्व की पहली दिव्यांग महिला अरुणिमा सिंहा ने पटना में छात्रों को किया संबोधित
एवरेस्ट पर चढ़ने वाली विश्व की पहली दिव्यांग महिला पद्मश्री अरुणिमा सिंहा कल शाम पटना में विश्वप्रसिद्ध लीडरशिप एंड एंटरप्रेन्योरशिप संस्था डेक्स स्कूल के स्नातक समारोह में छात्रों को संबोधित किया। छात्रों को संबोधित करते हुए अरुणिमा ने अपने जीवन के अनछुए पहलुओं को व्यक्त कर लोगों को हतप्रभ कर दिया।
लक्ष्य निर्धारण कर उसे पूरा करने की हो जिद
अरुणिमा ने कहा कि जीवन में हर इंसान को अपना लक्ष्य पता होना चाहिए। उसे पूरा करने के लिए अपनी सारी उर्जा लगा दो, लोग क्या कहते हैं इस बात को न ध्यान देते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें। सिन्हा ने कहा कि आंखों के सामने जब मौत दिखती है तो बड़े-बड़े महारथी के हौसले पस्त हो जाते हैं।
डर को अपने आप से करना होगा दूर
युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में हर किसी को किसी न किसी चीज से डर लगाता है। ऐसे में व्यक्ति डर के साये में जीता है। जीवन में उतार-चढ़ाव आते है ऐसे में अपने मन से डर को निकाल लक्ष्य की ओर बढ़ने का जज्बा होना चाहिए।
युवाओं में हो लीडरशिप के गुण
सिन्हा ने कहा 25-30 साल की उम्र में युवाओं में लीडरशीप का गुण विकसित होना चाहिए। इसके बाद युवा अपने आप को दूसरे से अलग पाते हैं और लोगों के आदर्श बन जाते हैं। सिन्हा ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि समय एक जैसा नहीं होता। सुख और दुख को समान समझ कर अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने लिए नए रास्ते तलाश करें। जो बात बीत गई हो उसके बारे में सोचने से और रोने से कुछ नहीं मिलता। जीवन में बहुत कुछ करना बाकी है। जब भी किसी जरूरतमंद की सेवा करने का अवसर मिले तो कभी अपने पैर पीछे मत हटाना। गलत कामों के लिए हमेशा अपनी आवाज उठाएं।
लाइफ के असली हीरो हम सभी
सिन्हा के ऊपर फिल्म बन रही है। फिल्म के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि 2019 तक फिल्म बनकर तैयार हो जाएगी। फिल्म में संभवत: अभिनेत्री कंगना रनौत अरुणिमा का किरेदार में होंगी। सिन्हा ने कहा कि फिल्मकार तो सिर्फ फिल्म बनाते हैं और हीरो कोई और होता है लेकिन यहां तो हीरो और फिल्मकार आप सभी होते हैं। इसलिए अपनी मंजिल तलाश कर अकेले चलते रहें। सिन्हा लड़कियों को प्रशिक्षण देकर उसे जिंदगी का पाठ पढ़ा रही हैं। मौके पर स्वराज प्रियदर्शी आदि कई लोग मौजूद थे।
याद दिलाया उस काली रात का मंजर
कहा कि साल 2011 के 11 अप्रैल को पद्मावती एक्सप्रेस से लखनऊ से दिल्ली जा रहीं थीं। रात के लगभग एक बजे कुछ शातिर अपराधी ट्रेन के डिब्बे में दाखिल हुए और सिन्हा को अकेले देख गले की चैन छिनने का प्रयास किया। अरुणिमा ने इसका विरोध किया जिसके बाद अपराधी ने चलती ट्रेन से बरेली के पास फेंक दिया। पैर कटने के बाद दर्द से चीखती-चिल्लाती रहीं फिर काफी समय बाद उन्होंने अपने आप को हास्पिटल में पाया। बताया कि हॉस्पिटल में कुछ समय बिताने के बाद पेपर में एवरेस्ट के बारे पढ़ा और फिर अपने लक्ष्य को देख उसकी तैयारी में लग गई।