खुशखबरी: बिहटा में 115 एकड़ में विकसित होगा टेक्सटाइल पार्क और भागलपुर में सिल्क भवन
ग्रेटरनोएडा की तरह बिहार में बिहटा का तेजी से विकास हो रहा है। शैक्षणिक एवं औद्योगिक क्षेत्र के व्यापक विस्तार के कारण बिहटा अब रियल इस्टेट का भी हब बनने लगा है। बिहटा में रियल इस्टेट की कई प्रतिष्ठित कंपनियाें ने जमीन की खरीदारी कर निर्माण शुरू कर दिया है। मुख्य से लेकर लिंक रोड तक सैकड़ों एकड़ में एक साथ भवन निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। बड़े-बड़े कारोबारी यहां अपना उद्योग लगाने के लिए हर जुगत लगा रहे हैं। इसके साथ अब टेक्सटाइल उद्योग के तरफ से भी एक खुशखबरी आ रही है ।
राजधानी पटना के नजदीक बिहटा में 115 एकड़ में टेक्सटाइल अपेरल पार्क की स्थापना की जाएगी। बुडको 25 एकड़ में पहली यूनिट लगाएगा। इसमें तकरीबन छह हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। शेष 90 एकड़ जमीन पर प्राइवेट कंपनियां उद्योग स्थापित करेंगी।
गांधी मैदान के समीप स्थित खादी भवन के जीर्णोद्धार पर 22 करोड़ खर्च किए जाएंगे। खादी के विकास के लिए जीविका के माध्यम से दस हजार त्रिपुरारी चरखे भी वितरित किए जाएंगे। भागलपुर में 15 करोड़ रुपये की लागत से सिल्क भवन बनेगा।
उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा कि राज्य में त्वरित औद्योगिक विकास के लिए बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2016 लागू की गई है। खाद्य प्रसंस्करण, पर्यटन, लघु मशीन, आइटी, आइटीएस, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, रबर, स्वास्थ्य, ऊर्जा और तकनीकी शिक्षा को विशेष सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
प्रक्रिया को सुगम बनाने को आवेदन करने के लिए आनलाइन व्यवस्था प्रारंभ की गई है। जनवरी से लेकर अभी तक 442 आवेदन आए हैं। इनमें से 408 आवेदन की जांच की गई। उसमें 353 आवेदन को मंजूर कर राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद के पास भेज दिया गया है।
प्रधान सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री सूक्ष्म एवं लघु उद्योग क्लस्टर विकास योजना के अंतर्गत कुल नौ क्लस्टरों के विकास की कार्रवाई चल रही है। छह क्लस्टरों में सामान्य सुविधा केन्द्र की स्थापना के लिए डीपीआर को राज्यस्तरीय समिति द्वारा मंजूरी दे दी गई है।
नालंदा के मोरातालाब लेदर क्लस्टर के विकास के लिए सामान्य सुविधा केन्द्र की स्थापना की जा रही है। इसके लिए 130. 64 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई है। मुजफ्फरपुर में लेदर गुड्स कम्प्लेक्स की स्थापना की जा रही है। राज्य सरकार बंद पड़ी चीनी मिलों की जमीन को फूड पार्क के तौर पर विकसित करेगी।