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बिहार बोर्ड का छात्र आईएएस तो बन सकता मगर दिल्ली विश्विद्यालय में एडमिशन नहीं ले सकता

बिहार बोर्ड के रिजल्ट्स आ गए हैं। एक तरफ जहाँ बेहद कम रिजल्ट्स की चर्चा जोर पकड़ चुकी है और इसके कारणों पर गहन विमर्श का दौर चल पड़ा है, वहीं दूसरी तरफ पास हुए विद्यार्थियों के लिए बिहार से बाहर एडमिशन ले पाना अगली परीक्षा से कम नहीं दिखती।
देश के सर्वोच्च विश्वविद्यालयों में शुमार राजधानी दिल्ली का दिल्ली विश्वविद्यालय इस साल बिहार के विद्यार्थियों से मुक्त होता दिख रहा है।
जी हाँ! एक बार फिर बिहार बोर्ड से पास हुए 4.37 लाख में से एक भी विद्यार्थी दिल्ली विश्वविद्यालय का हिस्सा नहीं बन पाएगा। यहाँ के टॉपर्स के मार्क्स भी वहाँ के पिछले साल के लास्ट कट ऑफ मार्क्स से बहुत दूर हैं।
गौरतलब हो, पिछले साल दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकतर कॉलेजों में अंतिम कट ऑफ 95 से नीचे नहीं आया था। हम देख सकते हैं कि बिहार बोर्ड में टॉपर्स के मार्क्स 86.2% तक ही पहुँच पाए हैं। ऐसे में ये मार्क्स दिल्ली में एडमिशन मिलने में कोई मदद करते नहीं दिख रहे।
बिहार बोर्ड के प्रमुख सचिव आर के महाजन के अनुसार इस बार परीक्षा के हर पड़ाव पर कड़ाई भी इस गिरे रिजल्ट की वजह हो सकती है।

वहीं देश के बड़े विश्वविद्यालयों के ऊँचे कट ऑफ और CBSE बोर्ड के मार्क्स को देखते हुए बिहार बोर्ड के विद्यार्थियों के देश के बड़े महाविद्यालयों में दाखिले के कम मौके पर उठे सवाल का जवाब देते हुए बोर्ड के चेयरपर्सन आनंद किशोर ने कहा कि देश के दूसरे बोर्ड मोडरेशन पॉलिसी को फॉलो करते हैं लिहाजा ये अंतर देखने को मिलता है। कोर्ट के आदेश (लंबित) के बाद इस पॉलिसी को अगर खत्म किया जाता है तो बिहार बोर्ड के स्टूडेंट्स भी दूसरे बोर्ड के बराबर आ जाएंगे।

 

फिलहाल बिहार बोर्ड से पास हुए विद्यार्थियों का भविष्य और बड़े कॉलेजों में पढ़ने का ख्वाब भी इस आदेश के साथ लंबित माना जा सकता है।

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