फोटोग्राफी के साथ-साथ लेखनी में भी चलता है इस मशहूर आईपीएस का जलवा

दसवीं बोर्ड टॉपर बनने के बाद ये जिंदगी के हर मुकाम पर टॉपर बनते चले गए। ये इस मान्यता पर चलते हैं कि जो काम हम कर रहे हैं, उसमें पूरा समर्पण दिखाएँ तो सफलता हाथ लगती ही है। यही नहीं, इनका यह भी मानना है कि जिंदगी में जिंदादिली बरकरार रखने के लिए बहुत जरूरी है नये शौक अपनाए जाएँ, नये काम किये जाएँ। जिंदगी के इसी फलसफे पर चलते हुए इन्होंने लेखनी की दुनिया में भी हाथ आजमाया है।

जी हाँ! हम बात कर रहे हैं 2005 बैच के आईपीएस टॉपर और बिहार के पूर्णियाँ जिले के एसपी निशांत तिवारी की।


तमाम व्यस्तताओं के बीच, इन्हें जो जिले कार्यक्षेत्र के रूप में मिले, उसका इन्होंने गहन अध्ययन किया और कोशिश कर रहे हैं कि ये जानकारी दूसरों तक भी पहुँचे। बिहार की धरोहरों को किताब के रूप में सबके सामने लाने के लिए ‘सेलेब्रेटिंग बिहार’ नाम की श्रृंखला के तहत इनकी दो पुस्तकें, ‘हेरिटेज ऑफ़ नालंदा’ और ‘द चार्म ऑफ़ चंपारण’, ऑक्सफ़ोर्ड पब्लिकेशन से आ भी चुकी हैं, जिनमें इस्तेमाल किये गए फोटोग्राफ्स खुद निशांत तिवारी जी के कैमरे से निकले हैं।

इसके अलावा, सामाजिक कार्यों में सक्रिय होकर समाज के लिए एक प्रेरणा भी बन चुके हैं। श्री निशांत ‘मेरी पाठशाला’ के अग्रणी समर्थकों और सहयोगियों में हैं। ‘मेरी पाठशाला’ अशिक्षितों और बच्चों के लिए चलाई जा रही एक अनूठी पहल है जिसका शुरूआती नाम ‘शाम की पाठशाला’ था। यह पहल अब पूर्णियाँ गाँव-गाँव तक पहुँच रहा है। श्री निशांत बताते हैं कि अन्य जिलों से भी ऐसी पाठशाला चलाने के लिए लोग जानकारी लेने आते हैं। यह समाज के लिए वाकई प्रेरणादायक है। आगे कहते हैं कि हम सब को शिक्षा के प्रसार के लिए ऐसे कार्यक्रम जरूर चलाने चाहियें जहाँ हर कोई शिक्षक हो, हर कोई छात्र। एक और अनूठी बात जो उन्होंने बतायी वह ये कि यह पाठशाला ‘शराबबंदी’ के बाद ये बड़े वर्ग को पथ प्रदर्शित करने में सफल रहा है।


अंत में निशांत तिवारी जी ने ‘आपन बिहार’ के लिए भी कुछ कहा- 

Search Article

Your Emotions