गांधीजी के पौत्र ने कहा कि महात्मा गांधी कुल नहीं अनुयायी परम्परा के हैं. उनके प्राकृतिक परिवार के बजाए उनके विचारों को मानने वाले परिवार का अधिक महत्व है. लेकिन जो अपने आप को गांधीवादी कहते हैं, वे ही गांधी का नाम खराब करते हैं. नाम लिए बिना काम करने वाले ही असली गांधीवादी हैं.
उनके अनुसारा बिहार में किसानों को अंग्रेजों के जुल्म से बचाने के लिए चंपारण सत्याग्रह हुआ था. आज भी किसानों की समस्या बरकरार है.
उन्होंने कहा कि किसानों की जमीन सार्वजनिक कार्य के लिए ली जाए तो ठीक है लेकिन भूमि अधिग्रहण कानून के जरिए किसानों की जमीन लेकर किसी उद्योगपति को दिया जाए तो ठीक नहीं है. मनरेगा को आधार से जोड़ने की जरूरत नहीं है. बच्चों के मिड डे मिल को आधार से जोड़ना सही नहीं है.