प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनाव के पहले 18 अगस्त, 2015 को आरा की सभा में बिहार के लिए एक लाख 25 हजार करोड़ के विशेष पैकेज की घोषणा की थी। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री ने बिहार में 40,657 करोड़ के विशेष निवेश की घोषणा की थी. इस तरह दोनों को मिला कर कुल एक लाख 65 हजार 660 करोड़ के पैकेज की घोषणा की गयी थी.
यह विशेष पैकेज तो हर बिहारी को याद होगा । इस पैकेज की चर्चा सिर्फ बिहार ही नहीं पूरे देश में हुआ था । इसे अबतक का सबसे बड़ा पैकेज बताया जा रहा था । विकास के मामले में पिछड़ चुके बिहार के लिए उम्मीद की एक किरण थी प्रधानमंत्री मोदी का वह विशेष पैकेज । मगर लगभग दो साल बाद उस पैकेज का हकीकत जान आप हैरान जाइयेगा ।
राज्य सरकार ने विधान परिषद में गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बिहार के लिए घोषित सवा लाख करोड़ रुपये का विशेष पैकेज महज दिखावा साबित हुआ है। योजना एवं विकास मंत्री ललन सिंह ने विधान परिषद में विशेष पैकेज और अतिरिक्त निवेश का पूरा लेखा-जोखा पेश किया। वह जदयू के नीरज कुमार के ध्यानाकर्षण का जवाब दे रहे थे।
प्रधानमंत्री के कुल एक लाख 65 हजार 660 करोड़ का पैकेज का घोषणा महज एक दिखावा साबित हुआ । मंत्री ने बताया कि इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सात और 23 सितंबर, 2015 को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिख कर विस्तार से अवगत कराया कि इस पैकेज में पुरानी, पहले से प्रस्तावित और वर्तमान में चल रही योजनाओं के लिए आवंटित राशि को जोड़ कर महज री-पैकेजिंग कर दी गयी है. एक लाख 25 हजार करोड़ में एक लाख आठ हजार 667 करोड़ पहले से प्रस्तावित और चल रही योजनाओं के लिए है. मूल रूप से 10,368 करोड़ ही नये बजट से उपलब्ध हो पा रहा है. करीब छह हजार करोड़ की प्रस्तावित परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनका कोई सुनियोजित आधार तैयार नहीं है. इसी क्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री ने कोई ठोस जवाब तो नहीं दिया, लेकिन इस बात को स्वीकारा कि पहले से घोषित अनेक योजनाएं इस पैकेज में शामिल हैं.