सात समंदर पार अमेरिका से बिहार के लिए बहुत बड़ी खबर आई है। सामाजिक उद्यमी शरद सागर ने बिहार राज्य के लिए एक बार फिर इतिहास रचा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित उद्यमी शरद बिहार के बच्चों की अमेरिका के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में से एक में पढाई के लिए करोड़ों की छात्रवृत्ति लाए हैं।
अमेरिका के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में से एक टफ्ट्स यूनिवर्सिटी ने बिहार के डेक्सटेरिटी टू कॉलेज (डी2सी) प्रोग्राम से निकले बच्चों के लिए करोड़ों की स्कॉलरशिप फण्ड स्थापित करने की घोषणा की है। ज्ञात हो कि डी2सी की स्थापना शरद की संस्था डेक्सटेरिटी ग्लोबल ने साल 2015 में की थी। डी2सी बिहार से प्रतिभाशाली स्टूडेंट्स का चयन कर उन्हें विश्व भर के टॉप-100 कॉलेजों के लिए तैयार करता है।
यूनीवर्सिटी के इतिहास में पहली बार किसी भारतीय संस्थान के साथ छात्रवृत्ति फंड की स्थापना
इसमें आश्चर्य की बात नहीं है की अपने 165 वर्ष केइतिहास में टफ्ट्स यूनिवर्सिटी ने पहली बार एक भारतीय संस्थान के साथ मिलकर भारतीय बच्चों के लिए एक ख़ास छात्रवृत्ति कोष स्थापित किया है। साल1852 में स्थापित टफ्ट्स यूनिवर्सिटी अमेरिका केबॉस्टन शहर में स्थित है और विश्व के टॉप कॉलेजों मेंटफ्ट्स का नाम शुमार है। यह एतिहासिक कदम शिक्षा के क्षेत्र में सिर्फ बिहार के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए बड़ी उपलब्धि है।
टफ्ट्स यूनिवर्सिटी की अधिकृत घोषणा
एक आधिकारिक पत्र में टफ्ट्स यूनिवर्सिटी केविश्वविद्यालय उन्नति के उप-राष्ट्रपति एरिक जॉनसन नेडेक्सटेरिटी ग्लोबल के सीईओ शरद सागर को बधाई देतेहुए लिखा –
“हमें आपके लक्ष्य एवं उपलब्धियों पर गर्वहै एवं डेक्सटेरिटी ग्लोबल के मिशन में सहायता करने के लिए समर्पित हैं…हम भारत से प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को टफ्ट्स यूनिवर्सिटी लाने में आप के साथकाम करने को तत्पर हैं।”
इस उपलब्धि पर शरद सागर ने क्या कहा?
इस उपलब्धि पर डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक एवं सीईओ शरद ने कहा – “डेक्सटेरिटी में हमारी मूल मान्यता है की किसी भी स्टूडेंट का भविष्य वह कहाँ रहता है या रहती है या उसके परिवार की कितनी आय है उससे निश्चित नहीं होनीचाहिए। टफ्ट्स यूनिवर्सिटी में स्थापित डी2सी फण्ड इस बात को सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा कदम है। बिहार के एक छोटे से गाँव से आकर टफ्ट्स यूनिवर्सिटी तक का सफर तय करना मेरे एवं मेरे परिवार के लिए बेहद मुश्किल था और मैं सुनिश्चित करना चाहता हूँ की कोई भी और परिवार या किसी भी और स्टूडेंट को ऐसी कठिनाई से नहीं गुज़ारना पड़े। आने वाले दशक में बिहार से 100 से भी अधिक छात्र एवं छात्राएं दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में 250 करोड़ से भी अधिक की छात्रवृत्ति पर पढ़ रहे होंगे। साथ ही साथ हम विश्व भर के विश्वविद्यालयों में बिहार के बच्चों के लिए 1000 करोड़ की छात्रवृति कोष स्थापित करने का काम कर रहे हैं ताकि बिहार का हर बच्चा अपने सपनों को उड़ान दे पाए।“
डी2सी की सफलता
शरद सागर, जिन्होंने अपनी खुद की पढाई टफ्ट्स यूनिवर्सिटी से पूरी की, ने डेक्सटेरिटी ग्लोबल की स्थापना साल 2008 में की जब वो खुद हाई स्कूल में थे। पिछले 8 सालों में डेक्सटेरिटी ने भारत एवं अन्य दक्षिण एशियाई देशों के 12 लाख से भी अधिक बच्चों को शैक्षणिक अवसरों से जोड़ने का काम किया है। साल 2014-15 में विश्वस्तरीय लीडर्स तैयार करने के उद्देश्य से डेक्सटेरिटी टू कॉलेज (डी2सी) प्लैटफॉर्म की स्थापना की। पहले ही सत्र में डी2सी ने शानदार परिणाम दिए। 2016 में डी2सी से निकले बच्चों ने 9 मिलियन से भी अधिक की छात्रवृत्ति पायी एवं उनका चयन यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी, वर्जिनिया टेक जैसे शीर्ष कॉलेजों में हुआ।
कौन है शरद सागर ?
शरद सागर डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक एवं सीईओ हैं। साल 2015 में शरद बिहार से पहले व्यक्ति बने जिन्हें अमेरिकी पत्रिका फ़ोर्ब्स ने अपने 30 अंडर 30 की अंतरराष्ट्रीय सूची में नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता मलाला यूसफ्ज़ाई एवं फेसबुक फाउंडर मार्क ज़ुकेरबर्ग जैसे हस्तियों के साथ शामिल किया। शरद एकमात्र भारतीय थे जिन्हें अक्टूबर 2016 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने वाइट हाउस आने का निमंत्रण दिया।
डी2सी के छात्रों की प्रतिक्रियाएं
डी2सी की छात्रा कक्षा 12 में पढ़ रही पटना की मल्लिका बूबना ने कहा – “हम स्टूडेंट्स हाई स्कूल में होकर दुनिया के किसी बेहतरीन कॉलेज जाने का सपना तो रखते हैं परंतु हमें रास्ता नहीं पता होता है और हमें मार्गदर्शन देने वाला कोई नहीं होता। डी2सी में चयन होना मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण फैसला था। टफ्ट्स यूनिवर्सिटी में स्थापित यह स्कालरशिप फण्ड मेरे लिए और मेरे जैसे और कई बच्चों के लिए रास्ता आसान कर दिया है। मैं डेक्सटेरिटी ग्लोबल की शुक्रगुज़ार हूँ।
बेगूसराय के मदर्स प्राइड स्कूल में पढ़ रहे कक्षा 11 के छात्र सुमन सौरभ का कहना है – “दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय में पढ़ने का मेरा सपना अब साकार दिख रहा है। मैं एक माध्यम वर्गीय परिवार से आता हूँ और टफ्ट्स जैसे यूनिवर्सिटी में पढ़ने के बारे में सोच भी नहीं सकता था जहाँ पढ़ने का खर्च 2.5 करोड़ है परंतु यह छात्रवृत्ति कोष के बाद यह साकार दिखता नज़र आ रहा है। मैं अपने डी2सी मेन्टर्स को धन्यवाद देना चाहता हूँ।”