टूट जायेगा महागठबंधन, यूपी के बाद बिहार में भी नीतीश के साथ बनेगी भाजपा सरकार!
बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है । बीजेपी ने चुनाव जीती यूपी में मगर तुफान लेकर आई है बिहार के महागठबंधन के सरकार में । महागठबंधन में सबकुछ सही नहीं चल रहा है और यह सिर्फ कयास नहीं है बल्कि महागठबंधन में सामिल दलों के राजनितिक चाल इसकी गवाही दे रही है।
भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा है कि बिहार में जदयू-राजद और कांग्रेस का महागठबंधन बिखराव की ओर अग्रसर है। यू तो सुशील मोदी विपक्ष के नेता है और महागठबंधन के खिलाफ बोलते ही रहते है मगर इस बार उनके बात में दम लग रहा है।
नीतीश कुमार के जीएसटी, सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी के मुद्दे पर अपने सहयोगियों को अलग-थलग कर मोदी सरकार को सर्मथन देकर बीजेपी के करीब जाना, मोदी-नीतीश द्वारा एक दुसरे का तारीफ करना हो या राजद विधायकों और खुद राबड़ी देवी द्वारा तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की मांग करना, लालू के इशारे पर राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद यादन द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जहरीले वार करना । यह सब बतलाने के लिए काफी है कि महागठबंधन अपने नाजुक दौर से गुजर रहा है ।
इसी क्रम में यूपी चुनाव के बाद राजद नीतीश कुमार पर कुछ ज्यादा ही हमलावर दिख रहा है। रघुवंश प्रसाद ने नीतीश कुमार को धोखेबाज और जेदयू नेताओं के गर्दा झाड़ देने की भी बात कहीं है।
तब यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या बिहार की राजनीति पर यूपी चुनाव के नतीजों का असर पड़ने लगा है? या फिर नीतीश कुमार का दिल्ली में एमसीडी चुनाव में हिस्सा लेना आरजेडी को खटक रहा है?
आखिर रघुवंश प्रसाद सिंह जेडीयू नेताओं पर अचानक इतने हमलावर क्यों हो गये हैं? कहीं महागठबंधन के भीतर कोई और खिचड़ी तो नहीं पक रही?
ज्ञात हो कि चार दिन पहले वैशाली के राधोपुर में आयोजित सरकारी कार्यक्रम से न केवल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर गायब थी, बल्कि चारों तरफ राजद के झंडे लगे हुए थे।
राजद के अलावा सरकार में शामिल सहयोगी दल जदयू और कांग्रेस के किसी मंत्री और विधायक तक को कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया था। इसी प्रकार मुख्यमंत्री के यात्रा कार्यक्रम में भी कहीं उपमुख्यमंत्री शामिल नहीं हुए।
सवाल ये है कि लालू प्रसाद या आरजेडी नेताओं को नीतीश से ताजा चिढ़ की वजह सिर्फ यूपी चुनाव है या कुछ और?