बिहार दर्शन: जाने बिहार विभिन्न जिलो के दार्शनिक स्थलों को
“आइए आज हम सब मिलकर जाने बिहार के बारे में”
बिहार भारत का एक राज्य है। बिहार की राजधानी पटना है।
बिहार की चौहदी: उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है।
बिहार नाम, बौद्ध विहारों के विहार शब्द से हुआ है जिसे विहार के स्थान पर इसके विकृत रूप बिहार से संबोधित किया जाता है।
यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक गिना जाता है।
बिहार का जन्म 1912 ई. माना जाता है 1912 में बंगाल का विभाजन के फलस्वरूप बिहार नाम का राज्य अस्तित्व में आया।
इसके बाद 1936 में उड़ीसा इससे अलग कर दिया गया। पुनः स्वतंत्रता के बाद बिहार का एक और विभाजन हुआ और सन् 2000 में झारखंड राज्य इससे अलग कर दिया गया।
बिहार के कुछ दार्शनिक स्थल
पटना
- प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतें: कुम्रहार परिसर,अगमकुआं, महेन्द्रूघाट, शेरशाह के द्वारा बनवाए गए किले का अवशेष
- ब्रिटिश कालीन भवन: जालान म्यूजियम, गोलघर, पटना संग्रहालय, विधान सभा भवन,हाई कोर्ट भवन , सदाकत आश्रम
- धार्मिक स्थल: हरमंदिर, बड़ी पटन देवी, छोटी पटन देवी, महावीर मंदिर, शीतला माता मंदिर, इस्कॉन मंदिर, नवलख्खा मंदिर, सूर्य मंदिर, पादरी की हवेली, शेरशाह की मस्जिद, बेगू ह्ज्जाम की मस्जिद, पत्थर की मस्जिद, जामा मस्जिद, फुलवारीशरीफ में बड़ी खानकाह, मनेरशरीफ – सूफी संत हज़रत याहया खाँ मनेरी की दरगाह
- ज्ञान-विज्ञान के केंद्र: पटना विश्वविद्यालय, सच्चिदानंद सिन्हा लाइब्रेरी, संजय गांधी जैविक उद्यान, श्री कृष्ण सिन्हा विज्ञान के केंद्र, इंदिरा गांधी तारा घर, खुदा बख्श लाइब्रेरी तथा विज्ञान परिसर
गया
- हिन्दू धर्म के अलावे बौद्ध घर्म मानने वालों का यह सबसे प्रमुख दार्शनिक स्थल है। पितृपक्ष के अवसर पर यहाँ दुनिया भर से हिंदू आकर फल्गू नदी किनारे पितरों को तर्पण करते हैं। विष्णुपद मंदिर, बोधगया में भगवान बुद्ध से जुड़ा पीपल का वृक्ष तथा महाबोधी मंदिर के अलावे तिब्बती मंदिर, थाई मंदिर, जापानी मंदिर, बर्मा का मंदिर, बौधनी पहाड़ी { इमामगंज }, वाणावर की गुफाएं, प्रेतशिला की पहाड़ियां, रामशिला की पहाड़ियां, सीता कुंड, भ्रह्मज्योनी इत्यादि।
राजगीर
- राजगृह मगध साम्राज्य की पहली राजधानी तथा हिन्दू जैन एवं बौध धर्म का एक प्रमुख दार्शनिक स्थल है। भगवान बुद्ध तथा वर्धमान महावीर से जुडा कई स्थान अति पवित्र हैं। वेणुवन, सप्तपर्णी गुफा, गृद्धकूट पर्वत, जरासंध का अखाड़ा, गर्म पानी का कुंड, मख़दूम कुंड आदि राजगीर के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल हैं।
नालंदा
- नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष, पावापुरी में भगवान महावीर का परिनिर्वाण स्थल एवं जलमंदिर, बिहारसरीफ में मध्यकालीन किले का अवशेष एवं १४वीं सदी के सूफी संत की दरगाह (बड़ी दरगाह एवं छोटी दरगाह), नवादा के पास ककोलत जलप्रपात।
वैशाली
छठी सदी इसापूर्व में वज्जिसंघ द्वारा स्थापित विश्व का प्रथम गणराज्य के अवशेष, अशोक स्तम्भ, बसोकुंड में भगवान् महावीर की जन्म स्थली, अभिषेक पुष्करणी,विश्वशांति स्तूप, राजा विशाल का गढ, चौमुखी महादेव मंदिर, भगवान महावीर के जन्मदिन पर वैशाख महीने में आयोजित होनेवाला वैशाली महोत्सव।
हाजीपुर
कोनहारा घाट, नेपाली मंदिर, रामचौरा मंदिर, १५वीं सदी में बनी मस्जिद, महात्मा ग़ांधी सेतु, गुप्त एवं पालकालीन धरोहरों वाला चेचर गाँव, प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा से लगनेवाला सोनपुर मेला, सारण जिले का नवपाषाण कालीन चिरांद गाँव।
भागलपुर
प्राचीन शिक्षा स्थल के अलावे यह बिहार में तसर शिल्क उद्योग केंद्र है। पाल शासकों द्वारा बनवाये गये प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय का अवशेष, वैधनाथधाम मंदिर, सुल्तानगंज, मुंगेर में बनवाया मीरकासिम का किला।
चंपारण
सम्राट अशोक द्वारा लौरिया में स्थापित स्तंभ, लौरिया का नंदन गढ़, नरकटियागंज का चानकीगढ़, वाल्मीकिनगर जंगल, बापू द्वारा स्थापित भीतीहरवा आश्रम, तारकेश्वर नाथ तिवारी का बनवाया रामगढ़वा हाई स्कूल, स्वतंत्रता आन्दोलन के समय महात्मा गाँधी एवं अन्य सेनानियों की कर्मभूमि तथा अरेराज में भगवान शिव का मन्दिर
सीतामढ़ी
पुनौरा में देवी सीता की जन्मस्थली, जानकी मंदिर एवं जानकी कुंड, हलेश्वर स्थान, पंथपाकड़, यहाँ से सटे नेपाल के जनकपुर जाकर भगवन राम का स्वयंवर स्थल भी देखा जा सकता है।
सासाराम
अफगान शैली में बनाया गया अष्टकोणीय शेरशाह का मक़बरा वास्तुकला का अद्भुत नमूना है
भभुआ
मां मंडेश्वरी मंदिर, गुप्ता धाम, तील्हाढ कुंड, हर्शुव्रहम धाम