माह-ए-मुहब्बत 1: आगाज़ बिहार के हीरो एवं प्रसिद्ध आईपीएस लांडे की रियल प्रेम कहानी से
एक हट्ठा-कट्ठा, फिट-गबरू जवान, जीवन की कई कठिनाइयों से लड़ते हुए भारतवर्ष की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक को पास करता है। आईपीएस बनता है और बिहार में अपनी सेवा देना शुरू करता है। वो चाहता तो अन्य ऑफिसरों की तरह शांति से अपनी नौकरी के साथ जी सकता था। मगर उसने ऐसा कुछ नहीं किया।
एक सच्चे इंसान बनने की जो बीज परिवार ने बोई थी, उसके फलने-फूलने के दिन आ गए थे। वह नवजवान प्रसिद्ध होने लगा। जिस भी तरीके से हो सका, उसने अपना कर्तव्य निभाया। लड़कियों के बीच पूजा जाने लगा। माफियाओं में खलबली मचा के रख दी। दुश्मन बढ़ते गये, उससे कई गुना अधिक चाहने वाले बढ़ते गये। किसी ने ‘सिंघम’ कहा, किसी ने ‘दबंग’।
ये था हीरो का इंट्रोडक्शन। हर बड़े होते बच्चे की तरह ये हीरो भी अपने माता-पिता का बड़ा होता बच्चा था। हीरो की हिरोइन भी तो उसी टक्कर की होनी चाहिए थी। हीरो जानता था कि उसके इस अव्यवस्थित और असुरक्षित जीवनशैली के बीच कौन लड़की अपने जीवन की सुरक्षा तलाश करेगी! बस इसी सोच ने उसे शादी-विवाह के बारे में सोचने से दूर रखा हुआ था।
खैर! हर अभिभावक की तरह हीरो और हीरोइन के अभिभावकों ने भी दोनों को मिलवाने का कार्यक्रम तय कर रखा था। दोनों मिलते हैं।
पहली ही मुलाक़ात की पहली ही वार्ता में हीरो कहता है, “मैं नहीं जानता अपनी ज़िंदगी में मैं क्या करने वाला हूँ। हर रोज़ नये चैलेंज से खेलना ही मेरा शौक है। जरूरी नहीं आपकी हर मुश्किल घड़ी में आपके साथ रह पाऊँ। मैं देश-सेवा की जिम्मेदारी को सबसे ऊपर रखता आया हूँ, अपनी जान से भी ऊपर। क्या आप ऐसे लड़के के साथ अपना जीवन देखती हैं?”
इतना कहने के बाद, लड़के को पूरी उम्मीद थी कि लड़की पीछे हट जाएगी। फिर कोई शादी की बातें नहीं करेगा। आखिर कौन सी लड़की ऐसे लड़के के साथ ज़िन्दगी बसर करना चाहेगी जिसके हज़ारों दुश्मन हों, जिसकी ज़िन्दगी पर हर वक़्त खतरा मंडराता हो, जिसकी ज़िन्दगी असुरक्षित हो!
मगर वो लड़की भी क्या लड़की होगी जो सच्चाई से कही गयी बातों के भाव न समझ सके! वो लड़की भी तो पेशे से डॉक्टर थी, चैलेंज लेना तो उसे भी भाता था। आत्मनिर्भर वो लड़की भी दिल से समाज के लिए सेवा-भाव रखती थी। इस जमाने में जिसे सच्चा प्रेम और भरोसेमंद दोस्त मिल रहा हो, वो अपने जीवनसाथी में और क्या तलाशे। बिना एक पल भी गवाये उस लड़की के दिल ने हीरो की सच्चाई स्वीकार ली और जवाब ‘हाँ’ में ही दिया।
बस वो पहली मुलाक़ात ही प्रेम की वो डोर साबित हुई जिसके सहारे दोनों बंधते और बढ़ते चले गए।
आज इस दंपति के दाम्पत्य जीवन की चौथी वर्षगाँठ है। आज वसंत पंचमी का महोत्सव है, और आज ही से शुरू हो रहा है माह-ए-मुहब्बत में हमारी कहानियों का सिलसिला।
ये कहानी किसी और की नहीं, बिहार, बल्कि देश के सबसे प्रसिद्ध आईपीएस ऑफिसरों में शुमार होने वाले आईपीएस शिवदीप लांडे और उनकी पत्नी श्रीमती ममता शिवतारे (Mamata Shivtare) की प्रेम-कहानी का एक छोटा सा अंश मात्र है। दोनों के अंदर समाज की अपने-अपने स्तर से सेवा का जो भाव है, शायद इसी ने दोनों के दिल मिलाये। श्रीमती लांडे स्वयं भी गरीब बच्चियों की शादी करवाने की जिम्मेदारी का वहन करती आई हैं।
ये दोनों ही सुखी समाज की कल्पना करते हैं। गाहे-बगाहे शिवदीप लांडे के फेसबुक प्रोफाइल पर इनकी बेटी ‘अरहा’ की तस्वीरें आती रहती हैं, जिसमें अपने माता-पिता की जिंदादिली, वीरता और समाज के प्रति समर्पण की झलक भी साफ़ दिखती है। इस दंपति को आजीवन स्वस्थ, सुखी और समृद्ध होने की शुभकामनायें।
नोट- प्रस्तुत कहानी स्वयं श्री शिवदीप लांडे द्वारा आपन बिहार से हुई वार्तालाप में साझा की गयी है। आपके पास भी हो अपनी या अपनों की ऐसी ही कोई प्रेम कहानी तो लिखिए और भेजिए हमें, पढ़ेगा पूरा बिहार। हमारा पता है- [email protected]।