बिहार ने जीता सबका दिल, श्रद्धालुयों ने कहा नही भूलेंगे ये अपनापन!
बिहार में 350वें प्रकाशोत्सव के लिए ऐसी व्यवस्था देख, बिहार आये सारे लोगो ने कहा, मैं सोच भी नही सकता, ऐसी है यहाँ व्यवस्था, ये अपनापन कभी भूल नही पाएंगें।
पंजाब के भिन्न-भिन्न जगहों से बिहार आये श्रद्धालुयों ने कहा:-
- बिहार और बिहारियों को लेकर मेरे मन में बहुत अच्छी छवि नहीं थी। यहां की गुंडागर्दी और टूटी सड़कों के बारे में सुना था, लेकिन मैं गलत था।
- लोगों और पुलिस का सिख श्रद्धालुओं के प्रति व्यवहार बहुत ही सहयोग करने वाला है। यहां की साफ-सफाई अच्छी है। सड़कें बेहतर हैं। राज्य सरकार ने श्रद्धालुओं की सुख-सुविधा का बहुत ध्यान रखा है।लोगों और पुलिस का सिख श्रद्धालुओं के प्रति व्यवहार बहुत ही सहयोग करने वाला है। यहां की साफ-सफाई अच्छी है। सड़कें बेहतर हैं। राज्य सरकार ने श्रद्धालुओं की सुख-सुविधा का बहुत ध्यान रखा है।
- बिहार के बारे में हमारी जो धारणा थी, वह निराधार निकली। यहां आकर हमने उल्टा पाया। बिहार की मेजबानी पर हम फिदा हो गए।
- यहां की सड़कें, पुलिस का व्यवहार और लोगों द्वारा की जा रही खिदमत ने हमलोगों का दिल जीत लिया है।
- नांदेड़ के हुजूर साहिब और आनंदपुर साहिब भी जाता रहा हूं। लेकिन पटना साहिब में आकर मैंने जैसी मेहमाननवाजी देखी, पहले कहीं और नहीं देखी थी। सभी सुविधाएं यहां बहुत ही अच्छी है।
- यहां लंगर की भी बहुत अच्छा है। स्वादिष्ट भोजन मिल रहा है। ठहरने के इंतजाम बहुत अच्छे हैं। गुरुद्वारा से टेंट सिटी अथवा कहीं और जाने के लिए नि:शुल्क बस सेवा है।
- मैं यहां दो दिनों के लिए आया था, लेकिन यहां की अच्छी व्यवस्था देख 5 जनवरी के बाद ही जाने की सोच रहा हूं।
तख्त हरिमंदिर प्रबंधन कमेटी के अधीक्षक दलजीत सिंह ने कहा कि एक से 5 जनवरी के बीच 5 लाख से अधिक सिख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
तख्त हरिमंदिर व बाल लीला गुरुद्वारा में रोज 65-70 हजार लोग लंगर छक रहे हैं। सुबह दस बजे से देर रात तक यह व्यवस्था रहती है। लंगर खाने वालों की कतार पूरे दिन खत्म नहीं होती। शनिवार को आधा किमी लंबी कतार थी लंगर छकने वालों की।