कटिहार: नोटबंदी के बीच बिहार के कटिहार में बेहद सादगी में शादी हुई है. शादी में सिर्फ 11 सौ रुपये खर्च हुए. कोई तामझाम नहीं. दोनों पक्षों के लोग इस सामान्य से समारोह में शामिल हुए और लड़की को शादी कर ले गए.
महिलाओं और पुरुषों की सामान्य भीड़. कोई सजावट नहीं. न ही लड़का सजा है न लड़की. ढोल नगाड़ों का भी शोर नहीं, लेकिन बिहार के कटिहार के एक गांव में शादी हो गई और पता भी नहीं चसा. शादी हुई भी तो ऐसी जो इस वक्त देश के सामने एक मिसाल छोड़ रही है.
दरअसल जब से नोटबंदी लागू हुई लोगों की शादियां फंस गई. शादियों में होने वाले खर्च को लेकर परिवार वाले परेशान रहने लगे. चितौरिया गरीघाट के रहने वाले योगेन्द्र सहनी ने अपनी बेटी की शादी अपने ही गांव के राजा कुमार से तय की थी. लेकिन नोटबंदी के चक्कर में शादी फंस गई. परेशान पिता ने लड़के के परिवारवालों को परेशानी बताई. लड़के के परिवार ने परेशानी समझी और सादगी से शादी करने पर रजामंदी दे दी.
लड़के वालों की तरफ से ग्रीनसिग्नल मिलते ही शादी की तैयारी शुरू हुई. ग्यारह लोगों की बारात लड़की के घर पहुंची. बारात में आये लोगों को भी इस बात का बुरा नहीं लगा कि उनके स्वागत में कोई कोताही की गई है क्योंकि दुल्हन पक्ष की तरफ से चाय और लड्डू का ही इंतजाम बारातियों के लिये किया गया था. करीब एक घंटे में शादी की पूरी रस्म की गई और दुल्हन खुशी-खुशी अपने ससुराल बिदा हो गई. योगेन्द्र के अनुसार उसने अपनी बेटी की शादी के लिये न तो मंडप बनाया और न ही पांडाल। घर आंगन में ही उसने सारी रस्म निर्वहन कराई थी.
शादी का खर्च महज 1100 रुपये था. जिसमें 350 रुपये की साड़ी. लड़के के लिये 400 रूपये के कपड़े, बारात का मुंह मीठा कराने के लिये 150 रूपये के लड्डू और सौ रूपये की चाय. इसके अलावा वर-वधू के पहनने के लिए फूलों की माला का इंतजाम. शादी के एवज में दहेज की मांग करने वाले और शादी पर लाखों-करोड़ों पानी की तरह बहाने वाले समाज के लिए बिहार के कटिहार की ये शादी एक मिसाल छोड़ गई है.