भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए जहाँ प्रधानमंत्री मोदी का पूरा सरकारी अमला मिशन “कैशलेस इंडिया” में जुटा हुआ है वंही बिहार के खगड़िया जिले के होनहार लाल भी प्रधानमंत्री के इस विजन में अपना बड़ा योगदान दे रहा है।
दरअसल आज खगड़िया के फरकिया में बैठा कोई भी किसान अपने साधारण फोन की मदद से बाहर पढ़ रहे अपने बेटे को पैसे भेज सकता है ताकि उसे परेशानी नहीं हो। या फिर नोटबंदी के बाद दूर प्रदेश में बैठा बेटा बिना कतार में लगे अपने घरवालों को पैसे भेज सकता है। यह काम वो अपने साधारण फोन से भी कर सकता है। हमें यह सुविधा कैसे मिली यह जानकर आप अचरज में रह जाएंगे। यह सुविधा दिलानेवाला खगड़िया का बेटा है आनंद बजाज।
आनंद ने यह काम तब किया जब वह यस बैंक में चीफ इनोवेशन ऑफिसर के पद पर काम कर रहे थे। ताइवान की कंपनी ताईसीस की मदद से यह टेक्नोलॉजी भारत लाई गई है। नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और यस बैंक का इंटीग्रेशन करवाया और नाबार्ड की मदद से सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक तक पहुंचाया। उसी का परिणाम है कि यस बैंक आज सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक के साथ मिलकर किसानों को स्मार्ट पेमेंट की सुविधा दे रही है।
आज आनंद अपनी कंपनी के लिए इंटरप्रेन्योर बनकर उभर हैं। साथ हीं पूरे देश के लिए भी। आनंद एक उदाहरण हैं उन लोगों के लिए जिनका मानना है कि प्रतिभाएं अमेरिका में पैदा होती हैं और हम भारतीय केवल उसका इस्तेमाल करते हैं। आनंद ने चंदा कोचर जैसी हस्ती के जूनियर के रूप काम किया। और बैकिंग प्रणाली में अबतक कुल पांच पेटेंट अपने नाम करवाए हैं।
आनंद कहते हैं कि उनका सपना है कि आज के दौर में टेक्नोलॉजी दूध बेचनेवाले और खेती करनेवाले तक पहुंचे। इससे उन्हें उनके उत्पादन की सही कीमत मिलेगी। और दूसरी ओर भारत जिसकी आबादी करीब सवा अरब है वहां टेक्नोलॉजी रोजगार के अवसरों को कम भी कर रही है। वहीं इस तरह की टेक्नोलॉजी की मदद से फुटकर विक्रेता अपना रोजगार बचा सकते हैं उसे बढ़ा सकते हैं। आनेवाले समय में जब टेक्नोलॉजी देश के हर गांव और शहर में पहुंचेगा तो हमारे देश के कई शहर बैंगलुरू और गुरूग्राम बन जाएंगे।
आनंद की इस उपलब्धि पर उनके पिता शहर के जानेमाने व्यवसायी बजरंग लाल बजाज गर्व महसूस करते हैं। बताया कि आनंद अपने तीन भाई बहनों में सबसे छोटे हैं। उनके बड़े बेटे वीरेंद्र व्यवसाय में उनकी मदद करते हैं। वहीं बेटी हाउस वाइफ हैं। आनंद की पढ़ाई बिड़ला पब्लिक स्कूल पिलानी, राजस्थान से शुरू हुई और 12 वीं की परीक्षा उन्होंने वहीं से पास की। हंस राज कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया।
बंबई से इन्होंने सीए की पढ़ाई की। आईसीआईसीआई बैंक से नौकरी शुरू की। फिर यस बैंक में काम किया। फिलहाल आनंद की टीम नियर बाई टेक्नोलॉजी के नाम से अपनी कंपनी बनाकर काम कर रही है। उनकी टीम का बस एक हीं उद्देश्य है कि भारत के हर जवान और हर किसान तक टेक्नोलॉजी सरलता के साथ पहुंचे। और भारत के विकास में उनकी भूमिका निर्णायक हो। आनंद आज खगड़िया के युवा आइकन हैं।