राजीव गांधी मानव सेवा पुरस्कार से नवाजे गए देवेश ,महामहिम राष्ट्रपति द्वारा किये गए सम्मानित
देशभक्ति की बातें बहुत हो रही है। लेकिन देवेश उन लोगों को सम्हाल रहे हैं जिन पर आगे चलकर देश को संभालने की जिम्मेवारी आएगी। जी हां, ठीक उस देशभक्ति गीत की तरह..मेरे देश को रखना मेरे बच्चों सम्हाल के। जरूरत मंद बच्चो की सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले सारण के देवेशनाथ दीक्षित को राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा राजीव गांधी मानव सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार स्वरूप उन्हें एक लाख रुपया, स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र देकर दिया गया। गौरतलब है कि मालूम महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के द्वारा इस साल पूरे देश से कुल 3 लोगो का चयन इस पुरस्कार के लिए किया गया था जिसमे बिहार से सारण के देवेश दीक्षित चयनित हुए थे।
फरवरी 1963 में सारण के दरियापुर प्रखंड के बेला गांव में जन्मे देवेश दीक्षित की पहचान गरीब, तिरस्कृत, अनाथ, भूले भटके और कुपोषित बच्चो के मददगार के रूप में है। इन्होंने करीब 50 वैसे नवजात शिशुओं को जीवन दान दिया है जो किसी कारण से अपने माँ बाप से बिछड़ गए थे। इसके साथ ही इन्होंने 245 बच्चो को बाल श्रम से मुक्त कराये, करीब 300 बच्चों को प्रकृतिक आपदा से बचाया, करीब 20 बच्चों को बाल विबाह की चंगुल से निकाले, लगभग 250 बच्चो को नशाखोरी से मुक्त कराया और 15 बच्चों को असाध्य रोग से ग्रसित तथा 150 कुपोषित बच्चों का जीवन बचाया। इसके अलावा भी देवेश ने स्कूल नही जाने वाले करीब 1000 बच्चों को स्कूल तक पहुंचाया, पिछले 9 साल के अंदर करीब सवा लाख बच्चो को पोलियो की खुराक पिलाकर पोलियो से सुरक्षा प्रदान की है।
देवेश दीक्षित 2008 से 2011 तक सारण बाल कल्याण समिति के सदस्य और 2012 से 2015 तक इस समिति के चेयरमैन रह चुके है। चेयरमैन रहते समय उन्होंने कई बिछड़े बच्चो को उनके माता—पिता से मिलाने और अनाथ बच्चो को गोद दिलाने का काम किया । स्वभाव से बच्चो के प्रति संवेदनशील रहने , बच्चो के दर्द से दुखी और बच्चों के एक मुस्कान से खुश हो जाने वाले देवेश की विनम्रता और सेवा भावना की लोग मिशाल दिया करते है।
पुरस्कार राशि लावारिश बच्चो पर होगी खर्च
बाल दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति से मिलने वाले राजीव गांधी मानव सेवा पुरस्कार के साथ एक लाख रूपये की नकद राशि को उन्होंने लावारिश बच्चो के कल्याण पर खर्च करने की घोषणा की है। देवेश कहते हैं कि इस पुरस्कार के मिलने के बाद उनके ऊपर जिम्मेदारी पहले से ज्यादा बढ़ गई है और वे अब पहले से अधिक ऊर्जा के साथ बच्चो की सेवा में लगे रहेगे।
उन्होंने कहा कि वे जल्द ही कौशल विकास मंत्री और स्थानीय सांसद राजीव प्रताप रूडी से मिलकर इन बच्चों केे कौशल विकास के लिए कुछ करने की दिशा में पहल करने की मांग करेगे। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों के कौशल विकास ज्यादा जरूरत है..ताकि वे शिक्षा समाप्त कर अपने पसंद के रोजगार चुन आत्म निर्भर हो सकें।