शहीद राजीव को राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई
बिहार के वैशाली में जन्मा भारत माँ का वीर सपूत राजीव राय जम्मू के उधमपुर में भारत मां की रखवाली में वीरगति को प्राप्त हुआ है। शव लेकर आए सेना के पदाधिकारी रविकांत ने बताया की देश को पाकिस्तानी दुश्मनों से बचाने को राजीव ने जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में गोली लगने के बाद इलाज के दौरान हॉस्पिटल में अपनी शहादत दी। गोली खाने के पहले खूब लड़ा। वैशाली जिला के महुआ चकहाजी के रहने वाले राजीव की बहादुरी को आज पूरा वैशाली के साथ साथ राज्य और पूरा देश सैल्यूट कर रहा है।
लेकिन आफत तो राजीव के परिवार पर आ ही पड़ी है। शहीद राजीव के बूढ़े पिता मधुसूदन राय की आँखे नम है। शहीद अपने पीछे दो बेटी और एक सबसे छोटे बेटे को छोड़ गए हैं। शहीद राजीव की सबसे बड़ी बेटी शिवम् कुमारी की उम्र अभी सोलह साल है तो दूसरे बेटी स्वीटी कुमारी की उम्र मात्र चौदह साल है तो दुःख की सबसे बड़ी बात इस शहीद के परिवार की यह शहीद का एकलौता बेटा सत्यजीत उर्फ़ प्रिंस की उम्र मात्र दस वर्ष है। मधुसूदन राय के तीन बेटे और एक बेटी रेणु देवी है। मधुसूदन ने अपने तीन बेटों में दो बेटों को भारत माता की रक्षा के लिया सेना में भर्ती कराया था। एक बेटा राजीव शहीद हुआ है। और एक बेटा संतोष अभी भी भारत माँ की रक्षा में लगा है जो आज अपने भाई की शहादत की सुचना पर अपने अधिकारियों के साथ हाजीपुर के कोनहारा घाट पर अपने भाई को सलामी देने आया था। तो एक बेटा घर पर रहता है. शहीद का दस वर्षीय बेटा सत्यजीत उर्फ़ प्रिंस कहता है की वह अपने पापा की तरह भारत माता की रक्षा के लिए सेना में भर्ती होगा।
आज जब महुआ में अमर शहीद राजीव की शव यात्रा निकली तो पूरा महुआ सड़कों पर आ गया था। रो रहा था . ‘ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी..’ भारत माता की जय , पाकिस्तान मुर्दाबाद ,हिन्दुस्तान जिन्दाबाद के नारों की गूंज और साथ में भारत का लहराता तिरंगा यह गवाही दे रहा था कि जब तक राजीव जैसे हमारे वीर सैनिक सेना में हैं ,भारत मां के दुश्मन कभी कामयाब नहीं होंगे लेकिन सभी आंखों से आंसू तब तो झर-झर गिरने लगे,जब शहीद राजीव की चिता को अग्नि देने मासूम दस वर्षीय प्रिंस आगे को बढ़ा।
हाजीपुर के कोनहारा घाट पर उस वक्त सभी आंखें बेबस थी। बेचारा मासूम क्या कहता,मन के भीतर क्या है उसके,वह तो सिर्फ वह ही जान रहा है . वह और आगे बढ़ा ,तो सबों का कलेजा बैठ गया। सेना के जवान और और वैशाली की जिला पदाधिकारी रचना पाटिल, पुलिस कप्तान राकेश कुमार , बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री अलोक मेहता की आंखें भी गीली थी । लेकिन करते भी क्या,बच्चे को सहारा देकर आगे किया और फिर चिता की लपटें उठने लगी।
घर की महिलाएं दहाड़ मारती रही। आगे क्या होगा,किसी को कुछ भी पता नहीं। घर से कभी न लौटने को जाते अपने बेटे-भाई-पति ,दोस्त को देख रहे हैं। सुहाग बिंदी ,और मेहन्दी तो मासूमो के सर से पिता के साए से अधिक बेशकीमत कुछ भी नहीं। शहीद की पत्नी संगीता देवी शव को देखते ही ताबूत को पकड़कर रोने लगी। तो जिस वक्त बूढ़े पिता और भाइयो ने श्रद्धांजलि दी तो लोगों सभी रो पड़े।
शहीद राजीव का शव भारत के तिरंगे में लिपटा है। गार्ड ऑफ ऑनर भी मिला। शव लेकर श्रीनगर से आये साथी जवान राजीव के किस्से सुना रहे हैं। बहादुरी की दुहाई दे रहे हैं। वैशाली जान रहा है कि हमारे बेटे ने भारत मां की हिफाजत के लिए कितनी बड़ी कुर्बानी दी है।
हाजीपुर विधायक अवधेश पटेल , जिला परिषद् अध्य्क्ष प्रभु साह ,महनार विधायक उमेश कुशवाहा ,पातेपुर विधायक प्रेमा चौधरी ,वैशाली विधायक राज किशोर सिंह , हाजीपुर नगर परिषद् सभापति हैदर अली ,उपसभापति निकेत कुमार सिन्हा उर्फ़ डब्लू ,जिला जज ,वैशाली DDC ,हाजीपुर अनुमंडल पदाधिकारी रविन्द्र कुमार ,हाजीपुर डीएसपी राशिद जमा , महुआ डीएसपी अनंत कुमार राय , गंगाब्रिज थाना प्रभारी अवनीश कुमार ,नगर प्रभारी सुनील कुमार, तिसिऔता थाना प्रभारी चरणजीत कुमार ,समेत हजारों लोग अंतिम यात्रा में शामिल होने को आये हैं। कोई समझ नहीं रहा कि परिवार को संभालें तो कैसें । अंतिम दर्शन को सैलाब इतना बड़ा कि पूरा कोनहारा घाट में पैर रखने की जगह नहीं।
ग्रामीण राजीव के बचपन की स्टोरी बता रहे हैं। सेना में भर्ती होने के बाद राजीव की खुशी बयां कर रहे हैं। पर यह अपना राजीव अब कभी नहीं लौटकर आने वाला है,क्योंकि वह हमें-आपको और देश को सलामत रखने को दुश्मनों से लड़ते-लड़ते हमेशा के लिए गोली लगने के बाद इलाज के दौरान हॉस्पीटल में खुद सो गया है। सोने के पहले बहादुरी से लड़ा है। दुश्मनों के दांत खट्टे किए हैं . फिर से तुम्हें सलाम राजीव। बहुत -बहुत सलाम। तुम सदैव जिंदा रहोगेे,भारत मांं की यादों में जिंदा रहोगेे, जब जब भारत माता के वीर बेटों का नाम आएगा तो तुम्हारी वीरता की दुहाई दी जाएगी। तुम हमेशा रहोगे अपने परिवार ,समाज और भारतवासियो के दिलों में । शहादत तो हमेशा अमर रही है और रहेगी।