बिहार पुलिस के जांबाज और लोकप्रिय अफ़सर शिवदीप लांडे की विदाई बिहारियों को मंजूर नहीं
कहते हैं ज्ञान, अच्छाई और वीरता की कद्र हर जगह होती है| अमूमन ये तीनों गुण किसी इंसान में एक साथ पाया जाना मुश्किल है, और इन तीनों गुणों के साथ अपनी पहचान बना पाना तो समुद्र में मोती ढूंढने जितना मुश्किल| सवाल यहाँ ये भी है कि क्या जनता के साथ हमारी सरकारें भी इन गुणों का उचित सम्मान कर पा रही है?
अभी कुछ दिनों पहले बिहार कैडेट के लोकप्रसिद्ध और सबसे सफल नायक और आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे
फेसबुक लाइव के जरिये अपने फ़ॉलोवर्स से जुड़ते हैं और पता चलता है कि ये भारत में अब तक का तीसरा सबसे सफल लाइव आयोजन रहा| अद्भुत बात ये भी रही कि एक सरकारी अधिकारी होते हुए भी, शिवदीप लांडे के लिए एक भी नकारात्मक कमेंट नहीं आया|
अपना बिहार द्वारा किये गये एक ऑनलाइन सर्वे में 100% लोगों ने कहा कि शिवदीप लांडे को बिहार से बाहर नहीं जाने देना चाहिए| यह भी शायद एक अजूबा रिकॉर्ड ही है जब 100% लोग किसी अफसर की प्रतिनियुक्ति को गलत ठहरा रहे हों|
इनके द्वारा किये गये कार्यों की सूची बनाना उद्देश्य नहीं, न ही यहाँ मकसद किसी की तारीफ़ करना ही है, बल्कि इस ओर इशारा करना है कि आमजन तक इतनी सकारात्मक पहुँच रखने वाले अफसर को अब 3 साल की प्रतिनियुक्ति पर जाना पड़ रहा है| वजह और फैसला राजनैतिक रंजिश का हो सकता है, सामूहिक दबाव का हो सकता है, जन्मभूमि की पुकार हो सकती हैं, या व्यक्तिगत/ निजी ख़्वाहिश भी हो सकती है, मगर ये बिहार में कानून का राज स्थापित करने के वादे के साथ आई सरकार के लिए सही नहीं लगता|
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लोगों से घिरे शिवदीप लांडे
ऐसा नहीं कि शिवदीप लांडे ने अकेले पूरे बिहार में कानून का राज स्थापित करने का बीड़ा उठाया था| वो खुद भी हमेशा ये श्रेय लेने से इंकार करते रहे हैं| लेकिन जब अग्रणी अफ़सर ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ हो, अपने काम की जिम्मेदारी समझने वाला हो तो निश्चित तौर पर उनके निर्देशन में अच्छे काम ही होंगे, और अब तक ऐसा होते भी आया है| उनकी सकारात्मक ऊर्जा ने प्रशासन के चेहरे से कलंक को साफ़ तो किया ही, साथ ही छवि में सुधार लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी| उनके साथियों के लिए प्रेरणादायक रहे हैं वो| प्रशासन व्यवस्था में ईमानदार लोगों के संबल हैं वो| ये संबल जितना कमजोर होगा असामाजिक तत्वों का संबल उतना ही मजबूत होता जायेगा|
शिवदीप लांडे अक्सर कहते हैं कि उनके लिए पूरा देश उनकी कर्मभूमि है, और पूरे देश को वो एक सामान ही देखते हैं|