संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परिक्षा को देश का सबसे कठिन परिक्षा माना जाता है मगर यहां भी बिहारी प्रतिभा की झलक साफ दिखती है।
सर्विस परीक्षा में टॉप रैंकर्स बनते ही आईएएस बनते हैं ।इसका फिक्स फार्मूला तो अबतक किसी को नहीं मिला लेकिन बिहार की धरती इन टॉपर्स को पैदा करने में आज भी देश में दूसरे नंबर पर है।
अभी देशभर के कुल 4925 आईएएस अधिकारियों में से 462 बिहार से हैं। यानि 9.38 प्रतिशत ब्यूरोक्रेट्स बिहार के हैं। इस मामले में बिहार से आगे सिर्फ उत्तरप्रदेश है जहां के 731 (14.84 प्रतिशत) आईएएस अधिकारी हैं।
बेहतर हो रही बिहार की स्थिति
पिछले 20 वर्षों का रिकॉर्ड देखें तो बिहार से आईएएस अधिकारियों की संख्या में इजाफा हुआ है। वर्ष 1997 से 2006 के बीच 10 वर्षों में देशभर से चुने गए 1588 आईएएस अधिकारियों में से बिहार से 108 (6.80 प्रतिशत) रहे। यह आंकड़ा अगले 10 वर्षों में बढ़ा। वर्ष 2007 से 2016 के बीच देशभर से चुने गए कुल 1664 आईएएस अधिकारियों में से बिहार से 125 (7.51 प्रतिशत) रहे। हालांकि यह बढ़ोतरी अभी बिहार के कुल आईएएस अधिकारियों की संख्या से कम है।
सिविल सर्विस की परीक्षाओं में कभी बिहार के विद्यार्थियों की संख्या अधिक थी लेकिन 1990 के बाद इसमें गिरावट आई। अब एक बार फिर बिहार के विद्यार्थी इसमें अच्छा कर रहे हैं। सिविल सर्विस के एक्सपर्ट डॉ. एम. रहमान बताते हैं कि 2011 में यूपीएससी में सिविल सर्विस एप्टीट्यूड टेस्ट (सी-सैट) पैटर्न लागू हुआ। सी-सैट में अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता ने बिहारी अभ्यर्थियों के लिए मुश्किलें बढ़ाई हैं।
1987 से 1996 के बीच सबसे बढ़िया रिजल्ट
बिहार से आईएएस अधिकारी बनने के मामले में सबसे सुनहरा वक्त 1987 से 1996 के बीच रहा था। इस दौरान यूपीएससी के जरिए कुल 982 आईएएस अधिकारियों का चयन हुआ, जिसमें बिहार से 159 अधिकारी थे। यानी तब बिहार से आईएएस बनने की दर 16.19 फीसदी रही।