पटना में शुरू हुआ पहला अंतरराष्ट्रीय सिख सम्मेलन
आगामी जनवरी में होने वाले गुरु गोविंद सिंह की 350वीं जयंती से पूर्व राजधानी पटना में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सिख सम्मेलन की शुरुआत आज पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में हुआ।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उद्घाटन सत्र में सात देशों और नौ राज्यों के सिख विद्वान, संत, उद्यमी, राजनीतिज्ञ और श्रद्धालुओं के साथ बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, पर्यटन मंत्री अनीता कुमारी सहित कई मंत्री और अधिकारी भी मौजूद थे।
24 सितंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन में दुनिया भर की लगभग दो सौ प्रमुख हस्तियां शिरकत कर रही हैं। सम्मेलन के शामिल होने के लिए अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, न्यूजीलैंड, म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और म्यांमार से सहित कई देशों से प्रमुख सिख पटना पहुंच चुके हैं। कार्यक्रम में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और तेलांगना सहित तमाम राज्यों के सिख श्रद्धालुओं को आमंत्रित किया गया है।
यह आयोजन राज्य सरकार की ओर से पहली बार आयोजित किया गया है। सम्मलेन को संबोधित करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पटना में होना पूरे बिहार के लिए गौरव की बात है। कहा कि 350वां प्रकाशोत्सव भव्य होगा। यह भी सौभाग्य की बात और गुरुकृपा है कि सरकार का नेतृत्व उन्हें करने का दायित्व मिला है। बिहार गरीब है लेकिन अतिथि सत्कार में कोई कमी नहीं होगी। पूरी दुनिया के लोगों से प्रकाशोत्सव में आने का आग्रह करते हुए कहा कि आयोजन में सरकार अपने स्तर से कोई कमी नहीं छोड़ेगी। उन्होंने सम्मेलन में आए लोगों को बिहार सरकार नहीं, बिहार का अतिथि बताया। कहा कि चाहे जिस विश्वास और मत के मानने वाले हों, बिहार की धरती महत्वपूर्ण है। जैनधर्म के प्रवर्तक महावीर का पूरा जीवन बिहार में गुजरा। भगवान बुद्ध को ज्ञान बिहार के बोधगया में मिला। वैशाली में उन्होंने महिला को संघ में शामिल कर महिला सशक्तीकरण का उदाहरण पेश किया। यह मगध साम्राज्य की राजघानी थी। सम्राट अशोक, चंद्रगुप्त, आर्यभट्ट, चाणक्य और भगवान वाल्मीकि की धरती है।
सभी आगंतुकों को राजगीर और बोधगया जाने की व्यवस्था की बात कहते सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि राजगीर में गुरुनानक देव भी ठहरे थे। ठंडे पानी का कुंड नानक की यादों से जुड़ा है। महात्मा गांधी की चर्चा करते कहा कि चंपारण सत्याग्रह ने ही बापू को पहचान दी। चंपारण सत्याग्रह का यह शताब्दी वर्ष है।
सम्मेलन के दूसरे दिन यानि कल गुरु गोविंद सिंह की जीवनी पर आधारित पैनल डिस्कशन और खुला सत्र का आयोजन किया गया है। दूसरे दिन शाम 7 से 9 बजे तक मशहूर गायक रब्बी शेरगिल तथा सत्येंद्र संगीत द्वारा गायन प्रस्तुत किया जाएगा।
सम्मेलन के आखिरी दिन दलजीत सिंह दोसांझ अपनी प्रस्तुति से अतिथियों को झुमाएंगे और बिहार के राज्यपाल अंतरराष्ट्रीय सिख सम्मेलन का समापन करेंगे।