बिहार के अंशुमान ने अमेरिका में भारत का नाम किया रौशन, बनाया पनडुब्बी
बिहार के गया जिले के एक पान वाले के बेटे ने अमेरिका के सैनडिएगो शहर में चल रहे रोबोसब प्रतियोगिता में भारत का नाम रोशन किया है। इस प्रतियोगिता में भारत सहित 11 अन्य देश अमेरिका, कनाडा, जापान, चीन, रूस आदि शामिल थे। इस प्रतियोगिता में भारत को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है।
बिहार गया के अंशुमन के नेतृत्व में इंडियन इंस्टीच्युट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे की टीम ने मिसाल कायम किया है। अमेरिका के सैनडियगो शहर में रोबोसब प्रतियोगिता में भारत समेत विश्व के 11 देशों में अमेरिका, कनाडा, जापान, चीन, रुस आदि के इंजीनियरों की टीम ने शिरकत किया। प्रतिभागियों को स्वचालित पनडुब्बी बनाना था। पनडुब्बी को समुद्री वातावरण में विभिन्न रंगों के गुब्बारों की पहचान कर उसे छूना था। इसके अलावा कुछ सामग्री को उठाकर उसे एक से दूसरे जगह पर लेकर जाना था। जानिए अंशुमन के बारे में…
– पनडुब्बी का सबसे महत्वपूर्ण काम था छिद्रों की पहचान कर उसमें मिसाइल जैसी वस्तु डालना और विभिन्न आवाजों की पहचान करना।
– भारतीय टीम की बनाई गई पनडुब्बी ‘मत्स्या’ ने इन सभी अपेक्षाओं पर खरा उतर कर प्रतियोगिता में जीत दर्ज की।
– अंशुमन के नेतृत्व में 7 इंजीनियरों की टीम ने दूसरा स्थान हासिल किया। टीम में अंशुमन के अलावा तुषार शर्मा, अंगिता सुधाकर, हरि प्रसाद, जयप्रकाश और संदीप शामिल थे।
– सभी प्रतिभागियों ने अपने-अपने संस्थान से अपने निर्माण को लेकर प्रतियोगिता मे प्रदर्शन किया था।
अंशुमन के पापा चलाते हैं पान की दुकान
– इंडियन इंस्टीच्युट ऑफ बॉम्बे के छात्र अंशुमन कुमार उर्फ सोनू के पिता सुनील कुमार गया में पान की दुकान चलाते हैं जबकि मां मीना गुप्ता गृहिणी है।
– अपने बेटे की उपलब्धि से आह्लादित दोनों ने बताया कि अंशुमन बचपन से ही मेघावी था। अंशुमन तीन भाईयों में दूसरे स्थान पर है और इसका बड़ा भाई अभिराज भी इंजीनियर है।
कई मायनों में अहम हो सकता है पनडुब्बी का उपयोग
– मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान अंशुमन ने कहा कि हमारा ध्येय भारत को यांत्रिकीकरण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है।
– भविष्य में इस तरह की पनडुब्बी भारतीय नेवी की मदद कर सकती है।
– समुद्र में जिस स्थान पर इंसान का पहुंचना मुश्किल है वहां इस तरह की स्वचालित पनडुब्बी कई तरह का काम कर सकती है जिससे देश रक्षा के क्षेत्र में और आगे बढ़ सकता है।
– इसके अलावा नेवी इसका इस्तेमाल अन्य कार्यों में भी कर सकती है।
डीएवी और क्रेन का छात्र रहा है अंशुमन
– अंशुमन ने गया कैंट एरिया के डीएवी से दसवीं की परीक्षा पास की थी। क्रेन स्कूल से उसने 11 वीं और 12 वीं की परीक्षा पास की थी।
– आईआईटी में चयन के बाद इंडियन इंस्टीच्युट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे में वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है।