वर्तमान नालंदा विश्वविद्यालय एक सपना साकार होने जैसा है : राष्ट्रपति
आज बिहार के लिए बहुत एतिहासिक दिन था। 800 वर्षों बाद फिर बिहार ने इतिहास को दोहराया है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में शामिल हुए और विश्वविद्यालय के पहले सत्र के कुल बारह छात्रों को सम्मानित किया । इसमें दो छात्र, शशि अहलावत और साना सालाह को गोल्ड मेडल से नवाजा। इसके साथ ही 10 अन्य को सर्टिफिकेट दिए गए।
इस एतिहासिक मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि पुराने नालंदा विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक महत्व रहा है। बिहार में नालंदा और विक्रमशिला जैसे ऐतिहासिक महत्व के विश्वविद्यालय रहे हैं। वर्तमान नालंदा विश्वविद्यालय एक सपना साकार होने जैसा है।
साथ ही राष्ट्रपति ने पर्यावरण असंतुलन पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “धरती हमारे लिए बहुत कुछ करती है और आज हम धरती के लिए क्या कर रहे हैं, यह सभी को सोचना चाहिए।” उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की योजना खुद बिजली पैदा करने की है, यह प्रणाली अन्य शिक्षण संस्थानों को भी लागू करनी चाहिए।
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि विश्वविद्यालयों को अभिव्यक्ति की आजादी का केन्द्र होना चाहिए तथा इनमें असहिष्णुता, पूर्वाग्रह और नफरत के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
मुखर्जी ने इस विशेष मौके पर कहा कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय उच्च स्तरीय वाद-विवाद और चर्चाओं के लिए विख्यात रहा है। यह महज एक भौगोलिक संरचना नहीं था बल्कि विचारों एवं संस्कृति को प्रतिङ्क्षबबित करता है। नालंदा मित्रता, सहयोग, वाद-विवाद, चर्चा और बहस का संदेश देता है। वाद-विवाद एवं चर्चा हमारे व्यवहार और जीवन का हिस्सा है।
विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा संस्थान वाद-विवाद, चर्चा और विचारों के आदान-प्रदान के सर्वश्रेष्ठ मंच हैं। उन्होंने कहा बदलावों को आत्मसात करने के लिए हमें अपनी खिड़कियां खुली रखनी चाहिए लेकिन हवा के साथ बहना भी नहीं चाहिए। हमें पूरी दुनिया से हवाओं को अपनी ओर आने देना चाहिए और उनसे समृद्धि हासिल करनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन काल से ही भारत विश्व को ज्ञान की रोशनी देता आ रहा है। यहां तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और कई अन्य विश्वविद्यालय थे जहां उच्च शिक्षा के लिए देश-विदेश से लोग आते थे। उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय से कई विद्वान और बौद्ध भिक्षु चीन गये थें लेकिन यह सिर्फ एकतरफा नहीं था । चीन से भी कई विद्वान यहां आयें।
इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि 2006 में इस विश्वविद्यालय की शुरूआत हुई। नालंदा विश्वविद्यालय को बिहार सरकार पूरी मदद दे रही है। इसके लिए 70 एकड़ जमीन इनडाउनमेन्ट के लिए उपलब्ध कराई गई है ताकि विश्वविद्यालय राज्य और केंद्र सरकार पर आश्रित ना होकर आत्मनिर्भर हो जाए। मैं चाहता तो यह जल्द से जल्द इसे अपनी बिल्डिंग में शिफ्ट हो जाता। मुख्यमंत्री ने कहा कि नालंदा को विश्व धरोहर में शामिल किया जाना गौरव की बात है। अब तेल्हाड़ा और विक्रमशिला को भी विकसित करना है।
इस मौके पर नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन, डॉ़ मेघनाथ देसाई, राज्यपाल रामनाथ कोविंद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित राज्य के कई मंत्री और गणमान्य लोग उपस्थित थे। नालंदा विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में आठ देशों के प्रतिनिधिमंडल और राजदूत भी शामिल हुए।