बिहार पुलिस के दबंग अफसर शिवदीप लांडे से खास बात चीत
शिवदीप लांडे बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में सबसे प्रसिद्ध अफसर में से एक हैं मगर लोग उनके बारे बहुत कम ही जानते हैं। लड़कियों को छेड़ने वालो को सबक सिखाने और तस्करों को पकड़ने के लिए लोग उनकी मिसाल देते हैं मगर हकीकत इससे कहीं ज्यादा है। असल जिंदगी में वह मीडिया के ताम-झाम से दूर रहना ही पसंद करते हैं और अपनी पब्लिसिटी करने को ज्यादा महत्व नहीं देते। लेकिन हाँ, वो सोशल मीडिया पर सक्रिय भी रहते हैं, ताकि जरूरतमंद लोगों को उनसे संपर्क करने में कठिनाई न हो| लोग किसी भी माध्यम से उनसे संपर्क कर सकें, इसका वो पूरा ध्यान रखते हैं| फिल्मी सिंघम नहीं बल्कि ये उससे भी बड़े और रीयल सिंघम हैं, सबसे अलग अफसर हैं।
शिवदीप लांडे सिर्फ अपना काम ही ईमानदारी से नहीं करते बल्कि अपनी सैलरी का 70% हिस्सा गरीब और अनाथों के लिए समर्पित कर देते हैं। इस पर कुछ पूछने पर वो कहते है, “मेरे सैलरी के 70% दान करने से बहुत कुछ नहीं हो पायेगा। उतने रूपये से बड़े पैमाने पर कुछ करना संभव ही नहीं है मगर किसी को तो आगाज करना होगा| मंजिल तय हो तो रास्ता खुद बनता चला जाता है। लोग साथ जुड़ते चले जाते हैं| किसी एक की शुरुआत देख और लोग भी समाज के लिए आगे आते हैं|”
शिवदीप लांडे ने कई अनाथ बच्चों को भी गोद लिया है। इस पर वह कहते हैं कि “जो बच्चे अनाथ हैं, वे हर ओर से बेसहारा हैं। उनकी तो अपनी कोई पहचान भी नहीं होती| न माँ का नाम पता होता है और न ही पिता के बारे पता होता है। उन्हें सरकारी मदद भी नहीं मिल पाती| न ST,SC या OBC का फायदा ही मिल पाता है|” इसलिए वो अनाथ बच्चों के लिए भी काम कर रहे हैं।
शिवदीप लांडे की जन्मभूमि महाराष्ट्र है तो कर्मभूमि बिहार|
इसपर शिवदीप लांडे ने कहते हैं, “हाँ यह बात तो सही है कि बिहार मेरी कर्मभूमि है, बिहार ने हीं मुझे यह पहचान दिलाई है।” वे कहते हैं कि “जब मैंने सिविल सेवा की परीक्षा पास की या आईपीएस बना तब भी मेरे गाँव या राज्य में लोग मुझे नहीं जानते थे| मगर जब मैं बिहार में काम करने आया, यहाँ के लोगों से मुझे प्यार मिला और जबर्दस्त समर्थन मिला, उसी ने मेरी पहचान बनाई।” वो आगे ये भी जोड़ते हैं कि उनका नज़रिया पूरे देश के लिए एक जैसा है| वो देश के किसी भी कोने में चल रहे आपराधिक गतिविधियों पर पूरी नजर रखते हैं|
2006 से अब तक शिवदीप लांडे का कई बार ट्रांसफर हो चुका है| वर्तमान में एसटीएफ (स्पेशल टास्क फ़ोर्स) की कमान उनके पास है। बिहार के विभिन्न जिलों में वे एसपी की कमान सम्भाल चुके हैं मगर जब उनसे पूछा गया कि उनके लिए सबसे अच्छा अनुभव किस जिले में पोस्टिंग के दौरान रहा तो उन्होंने कहा कि उनके लिये सबसे अच्छा अनुभव आररिया का एसपी रहते हुए रहा। आज भी आरा में उनकी अच्छी जमीनी पकड़ है।
वे कहते है उनके लिए किसी भी अपराधी को पकड़ना मुश्किल काम नहीं| हालांकि मुकेश पाठक को गिरफ्तार करने को अपने कैरियर का सबसे चैलेंजिंग काम करार देते हैं| मुकेश पाठक एक शातिर अपराधी था जो पुलिस के काम करने के तरीकों से वाकिफ था और लगातार अपना स्थान बदलता रहता था| नये – नये फोन व् सीम का उपयोग करता था। वह ट्रेंड अपराधी था और आतंकवादी के जैसे चालें चलता था। मगर अंतिम समय तक एसटीएफ ने उस पर नजर बनाये रखी और आखिरकार दबोच ही लिया।
‘आपन बिहार’ के माध्यम से, भावी युपीएससी के उम्मीदवारों के लिए भी उन्होंने सन्देश दिया है| उन्होंने कहा कि “दबाव में आकर कभी भी देश सेवा के सपने नहीं देखे जा सकते| आपका मकसद देश सेवा होना चाहिए, महज परीक्षा पास करना नहीं| क्योंकि अगर आप सिर्फ परीक्षा पास करने की चाहत रखते हैं तो पास हो जाने के बाद आपका मकसद ही खत्म हो जाता है| आप दुनिया के बने-बनाये ढांचे में ढलने लग जाते हैं| आप डरने लग जाते हैं| ऐसे में आप कुछ नया या कुछ बड़ा नहीं कर पाते| हो सके तो देश सेवा को मकसद बनाइए|”
शिवदीप जी ने आगे कहा, “कोई आईएएस और आईपीएस बनकर ही समाज सेवा या देश सेवा नहीं कर सकता बल्कि हर कोई अपने स्तर से समाज के लिए सोच सकता है, देश के लिए कुछ कर सकता है। बस उसके लिए जज्बा और इच्छाशक्ति होनी चाहिए।”