बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल राज्य में आए भयावह बाढ के लिए मदद मांगी और साथ ही मुख्यमंत्री ने गंगा नदी पर बने फरक्का बराज हटाने पर विचार करने का अनुरोध भी किया।
उन्होंने गंगा में गाद के कारण राज्य में बाढ़, सुखाड़ और दूसरे राज्यों की नदियों सेआयी बाढ़ का सामना करने की जानकारी दी गयी है. पीएम से मुलाकात के दौरान सौंपे तीन पेज के पत्र में सीएम ने कहा है कि फरक्का बराज की उपयोगिता का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है.
नीतीश ने कहा कि जब से फरक्का बांध का निर्माण हुआ है गंगा में सिल्टेशन हो रहा है। गाद बैठने के चलते नदी छिछली होती जा रही है, जिसके चलते नदी फैल रही है। गर्मी के दिनों में गंगा में बहुत कम पानी रहता है और बरसात में अधिक पानी आने पर बाढ़ आ जाती है। नदी की जलग्रहण क्षमता कम होती जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फरक्का बैराज बन गया है तो उसे तोड़ना मुश्किल है। इस स्तर का फैसला आसानी से नहीं लिया जा सकता, लेकिन गंगा में सिल्टेशन मैनेजमेंट के लिए गंभीर प्रयास करने की जरूरत है।
दूसरे जगह की वर्षा से बिहार में आ रही है बाढ़
नीतीश ने कहा कि हमारे यहां बाढ़ का तीसरा खेप है। सबसे पहले नेपाल में हुई बारिश से सीमांचल की नदियों में बाढ़ आई। इसके बाद झारखंड में हुई बारिश से फलगू नदी में उफान आया और अब बिहार मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और अन्य जगहों में हुई बारिश के चलते बाढ़ का दंश झेल रहा है। हमलोग ऐसी स्थिति में हैं जहां बारिश चाहे नेपाल में हो, MP में हो या UP में बाढ़ की परेशानी बिहार को ही झेलनी होती है। यह सही मौका है एक्सपर्ट को भेजें और खुले मस्तिष्क से इस पर विचार करें।
राज्य के 152 प्रखंडों में 40 प्रतिशत से कम वर्षा
पत्र में मुख्यमंत्री ने बिहार काे सुखाड़ से निबटने के लिए उचित केंद्रीय सहायता की मांग करते हुए कहा है कि 15 अगस्त तक 152 प्रखंडों में औसत से 40% कम बारिश हुई है. इससे खरीफ फसल के प्रभावित होने की आशंका है. खरीफ फसल बचाने के लिए राज्य सरकार किसानों को डीजल अनुदान दे रही है. किसानों को पिछले कई साल से रबी और खरीफ फसल के लिए डीजल सब्सिडी दी जा रही है. पिछले 10 साल में दो वर्षों को छोड़ कर राज्य में वर्षापात 1000 एमएम के औसत से भी कम हुआ है, जो चिंताजनक है.