बिहार के इस पुलिस अफसर को मिट्टी में मिल जाना मंजूर है मगर अपने स्वाभिमान, ईमानदारी, कर्तव्य और ज़मीर से समझौता करना हरगिज़ मंजूर नहीं| कोई उनके रहते कानून तोड़े, चाहे वो कितने भी बड़े साहब क्यों न हों, उसे किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं।
हम बात कर रहे हैं बिहार के बेगूसराय निवासी ,बिहार कैडर के 2003 बैच के आईपीएस अधिकारी, आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग में ग्रैजुएट और पटना के पूर्व एसएसपी विकास वैभव की; जो पद पर रहते हुए अपने ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठता और बहादुरी से दूसरों के लिए मिसाल कायम कर रहें है।
विकास वैभव का नाम सुर्खियों में तब आया जब उन्हें एनआईए से वापस बुला पटना का एसएसपी बनाया गया।
पटना आते ही पहले ही दिन विकास वैभव ने अपनी बहादुरी का प्रमाण देते हुए बाहुबली सत्ताधारी विधायक अनंत सिंह के घर छापेमारी कर उन्हें जेल भेज तहलका मचा दिया। पटना एसएसपी के रूप में विकास वैभव ने शानदार पुलिसिंग का परिचय दिया, जिससे पहली बार लोगों को खाकी वर्दी की ताकत का एहसास हुआ और अपराधियों में पटना पुलिस का खौफ बना।
पटना के एसएसपी रहते हुए विकास वैभव ने वो कर दिखाया जिसके बारे में सोचने की भी कोई हिम्मत नहीं कर सकता था! अपनी पोस्टिंग के दुसरे दिन ही विकास वैभव ने जदयू के बाहुबली विधायक अनंत सिंह को गिरफ्तार कर जेल तो भेजा ही साथ ही उन्होंने एक पुलिस अधिकारी का कर्तव्य निभाते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एवं बिहार के वर्तमान शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी के खिलाफ केस दर्ज कर सियासी गलियारों में खलबली मचा दी। इतना ही नहीं लालू-नीतिश के स्वाभिमान रैली के दौरान लग रहे अवैध पोस्टर बैनर पर एसएसपी ने न सिर्फ रोक लगा दी बल्कि कई नेताओं पर केस भी दर्ज कर डाला.
आलम ये था कि लालू और नीतिश की रैली में अब सिर्फ एक दिन बचा था और पटना शहर में रैली के नाम-ओ-निशान नहीं दिख रहे थे।
पटना पुलिस की कमान मिलने के बाद विकास वैभव के शानदार कारनामों की बदौलत पटना पुलिस की उपलब्धियों में जबर्दस्त उछाल आया साथ ही पुलिस की छवि में काफी सुधार देखा गया। आलम यह था कि अपराधी तो दूर, पुलिस को अपना ग़ुलाम समझने वाले नेताओं को भी पुलिस के पावर का अंदाजा लग गया था और पुलिस से किसी की पैरवी करने से पहले दस बार सोचते थे।
जिस अफ़सर ने अपने कामों से पूरे पुलिस विभाग का नाम रौशन किया उसे प्रशंसा और सम्मान के बदले ईमानदारी की सजा मिली, पदोन्नति के बदले हाथों में ट्रांसफर का अॉडर थमा दिया गया। उन्हें सिर्फ 2 महीने 4 दिनों में ही पटना से हटा दिया गया। मगर इस अल्प अवधि में ही जो काम और आदर्श विकास वैभव ने पटना पुलिस के एसएसपी के रूप में किया वह अभी भी पटना के लोगों को याद है।
एनआईए में रहते हुए विकास वैभव ने कई आतंकी वारदातों की गुत्थियों को सुलझाया है ! वर्ष 2013 में पटना के गांधी मैदान में हुए बम ब्लास्ट एवं बोधगया बम ब्लास्ट की जांच टीम की अगुआई कर चुके हैं।
इससे पहले विकास वैभव नेपाल बॉर्डर पर नक्सल प्रभावित बगहा में एसपी के रूप में सुनियोजित तरीके से ऑपरेशन और स्थानीय लोगों की मदद से काम कर नक्सलियों को काबू करने में सफलता हासिल की साथ ही रोहतास जिले की कमान मिलने पर वहाँ के घने जंगलों में नक्सलियों के मांद में घुस उनपर हमला कर नक्सलियों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। विकास वैभव ने रोहतास में नक्सलियों के खिलाफ कई खतरनाक और साहसिक अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जिसके लिए पटना में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने उन्हें सम्मानित भी किया था। इन्होंने कई महत्वपूर्ण अभियानों के दौरान हुए अपने अनुभवों को अपने ब्लोग में लिखा भी है (copinbihar.blogspot.com)| बगहा और रोहतास में अपने कार्यकाल के दौरान वे स्थानीय लोगों में भी बहुत लोकप्रिय रहे।
अपराधियों को पकड़ना कर्तव्य है तो इतिहास से रूबरू होना उनका शौक
विकास वैभव को चुनौतियों से लड़ना पसंद है तो इतिहास से हमेशा रूबरू होना उनका शौक। विकास वैभव जहाँ भी जाते हैं वहाँ के इतिहास को खंगालने की कोशिश करते हैं।
वैभव ‘साइलेंट पेजेज’ नाम के एक ब्लॉग भी चलाते हैं, जिसमें वह बिहार के साथ-साथ देश के कई जगहों के बारे में लिखते हैं और साथ ही सोशल साइटों पर अपने पेजेज के माध्यम से ऐतिहासिक स्थलों की खूबसूरत व् अनदेखी तस्वीरें और उसके बारे में रोचक जानकारियाँ भी लोगों के साथ शेयर करते है। वैभव ने बताया कि बिहार के रोहतासगढ़ और कैमूर हिल घूमने में उन्हें बेहद अच्छा लगता है। वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ घूमना पसंद करते हैं। उनके परिवार को पहले इतना घूमना पसंद नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे उनका मन लगने लगा।
ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने और उनसे जुड़ी जानकारियों को सहेजने से जुडे कामों के लिए राजधानी के प्रतिष्ठित मगध महिला कॉलेज में ‘सेंटर फॉर जेंडर स्टडीज’ के इंटरनेशनल कांफ्रेंस में विकास वैभव को इस वर्ष सम्मानित भी किया गया है।
वह कहते हैं कि उन्हें बचपन से ही इतिहास में दिलचस्पी रही है। ये बात अलग है कि दसवीं तक ही उन्होंने इतिहास की पढ़ाई की लेकिन उनकी इतिहास को जानने की इच्छा उसके बाद भी बनी रही। उनका मानना है कि भारत को जीवित रखने के लिए उसके इतिहास को जिंदा रखना बेहद जरूरी है।
वैभव फिलहाल आईजी ट्रेनिंग के सहायक के पद पर तैनात हैं। विकास वैभव जैसे अधिकारी अपनी बहादुरी और ईमानदारी के लिए जाने जाए जाते हैं। वे कागज पे नहीं जमीनी स्तर पे काम करने वाले अफ़सर हैं जिसे चुनौतियों से लड़ना पसंद है।
सरकार को ऐसे अफ़सरों को प्रोत्साहित एवं इनके क्षमता का उपयोग करना चाहिए। कानून का सख़्ती से पालन करने वाले इस अधिकारी को तंग करने बजाए सरकार इनकी कर्तव्यनिष्ठता का सदुपयोग करे तो परिणाम काफी बेहतर होगा। सिर्फ सुशासन की रट लगाने से कुछ भी हासिल नहीं होगा बल्कि ऐसे जांबाज अधिकारियों को खुली छूट देनी होगी ताकि स्वतंत्रतापूर्वक कानून का राज कायम किया जा सके। खैर विकास वैभव जैसे अधिकारी जहाँ भी रहेंगे , अपनी जिम्मेदारियाँ बखूबी निभाते रहेंगे।