बेगूसराय के इस एसपी ने ऐसा काम किया है कि आप उन्हे सलाम करेंगे
#Begusarai का एक थाना है भगवानपुर । #SP रंजीत कुमार मिश्रा ने थानेदार गुंजन को आज सस्पेंड किया है । आप सोच रहे होंगे कि कहां मैं एक थानेदार के निलंबन की कहानी बांचने को बैठ गया । लेकिन मसला अलग है यहां । कथा बांचना आवश्यक इसलिए है कि बिहार पुलिस के बहके थानेदाराें की नस्ल को सुधारना है,तो सूबे में ऐसे पचासों थानेदारों को निलंबित करने की जरुरत है । जनता का सीधा वास्ता तो इन थानेदारों से ही पड़ता है । शुरुआत बेगूसराय के एसपी ने की है,तो उन्हें सलाम । हां,इतना जान लें कि इस एसपी से कोई निजी ताल्लुकात नहीं है मेरा । आज तक कोई वास्ता नहीं पड़ा है । निलंबित किये गये थानेदार से दूर तक कोई दुश्मनी भी नहीं ।
इस सस्पेंशन को सलामी लायक मैंने इसलिए माना कि आम आदमी की पीड़ा जान कार्रवाई हुई है । दरअसल,शनिवार की रात को लुटेरों ने एक मोटरसाइकिल लूटी । जिस व्यक्ति की मोटरसाइकिल लूटी,वह रात को करीब के भगवानपुर थाने में गया । पर,यहां सुनने वाला कौन था । सीधे टरकाया गया-भगाया गया । कहा गया कि आपकी मोटरसाइकिल जहां लूटी गई है,वह तेघड़ा थाने की सीमा में है । आपको अभी रात को तेघड़ा थाना जाना होगा,हम लुटेरों की न कोई खोज-खबर लेंगे और न आपकी रिपोर्ट लिखेंगे । समझ सकते हैं कि लूट के बाद थानेदार की इस दादागिरी ने पीडि़त की मनोदिशा पर क्या असर डाला होगा । अब जाकर पीडि़त के जख्म पर थोड़ा मरहम इसलिए लगा है कि जब किसी माध्यम से उन्होंने जिले के एसपी तक अपनी व्यथा पहुंचाई,तो थानेदार को तत्काल निलंबित कर दिया गया ।
भगवानपुर थाने के थानेदार ने जैसी दादागिरी दिखाई है,वैसी ही दादागिरी आपको पूरे बिहार में देखने को मिलती है/मिलेगी । यह दादागिरी अपराध को बढ़ाने में सहायक भी है । आसानी से समझें,अपराधी जानता है कि कहां वारदात करेंगे,तो नजदीक में थाना रहते भी पुलिस ‘हमारी सीमा से बाहर’ के नाम पर तुरंत पीछा नहीं करेगी । अब आम आदमी के कष्ट को समझें । क्या संभव है कि वह डेग-डेग जाने कि यह स्पॉट किस थाने की सीमा में है । थाना तो व्यक्ति संकट में ही जाता है । ऐसे में,भगवानपुर के थानेदार जैसे साहब मिल गए,तो मन में न सिर्फ टीस पैदा होगी,बल्कि व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह भी उपजेगा । सो,नस्ल सुधारनी है और बगैर सीमा जाने पुलिसिंग के सिद्धांतों के तहत तुरंत कार्रवाई करनी है,तो चुन-चुन कर ऐसे बददिमाग थानेदारों को मुअत्तल कर देने की जरुरत है ।
(सभार: ज्ञानेश्वर जी के पेज से)