पटना: रमजान के पाक महीने में पूरे देश के साथ बिहार के सियासी गलियारों में भी इफ़तार पार्टी का दौर चल रहा है।
पटना में पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से इफ़तार पार्टी का आयोजन किया जा रहा है मगर सबसे चर्चित एवं सुर्खियों में अपने पुत्र तेज प्रताप के आवास पर आयोजित किये लालू प्रसाद यादव का इफ्तार पार्टी रहा।
लालू यादव के इफ्तार पार्टी में तो कई लोग आए मगर सबकी नजर पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर थी जो वर्षों बाद एक साथ दिखें।
मगर दो साल पहले नीतीश कुमार को भगवान मानने वाले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनीतिक रिश्ते इतने तल्ख रहेे कि शुक्रवार को राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की इफ्तार पार्टी में आमने-सामने हुए तो बात दुआ सलाम से आगे नहीं बढ़ पायी.
शाम साढ़े छह बजे करीब नीतीश कुमार पहुंचे तो कुछ ही देर बाद मांझी भी आ गये. लालू प्रसाद ने उनकी अगवानी की और मांझी को अपने व नीतीश कुमार के बीच खाली कुरसी पर बिठाया. करीब आधे घंटे तक नीतीश और मांझी एक साथ बैठे तो जरूर पर मुख्यमंत्री ने मांझी को कोई खास तवज्जो नहीं दी.
सामने कैमरे को देख मांझी अपनी ओर से पहल की तो नीतीश भी थोड़े खुले. इफ्तार भी हुआ और बातचीत भी चलती रही. दावत खत्म हुई तो नीतीश और मांझी बिना एक दूसरे को दुआ सलाम किये अपनी-अपनी गाड़ियों में बैठ निकल पड़े.
मगर बाद में हर बात पर नीतीश कुमार पर तीखा हमला करने वाले मांझी ने कहा कि आज मैं जो कुछ भी हूँ नीतीश कुमार के बदौलत हूँ.
मांझी के इस बयान के बाद यह चर्चा गर्म हो गया है कि क्या मांझी महागठबंधनमें सामिल होने की सोच रहे है? इसको बात को बल इससे भी मिलता है कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद भी मांझी को अपने खेमे में लाने का प्रयास कर रहे है और नीतीश और मांझी के रिस्ते में जमें बर्फ को भी हटाने का प्रयास कर रहे है।
ज्ञात हो कि अभी मांझी एनडीए में है और उससे काफी दिनों से कफा चल रहे है। एनडीए में मांझी को तब्बजो न मिलने से खफा है और विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन से चिंतित है।
मगर यह तभी संभव है जब नीतीश कुमार राजी हो। शायद इसीलिए मांझी नीतीश कुमार को खुश करने में लग गये है!