बिहार का एक स्कूल है टॉपरों की फैक्टरी…और यहां चोरी से नहीं बल्कि अपनी मेहनत से टॉपर बनते हैं।
जमुई: क्या आपने कभी टॉपर की फैक्टरी का नाम सुना है? जी हाँ, बिहार में एक एसा स्कूल है जहाँ के बच्चों ने एसा करनामा कर दिखाया है कि लोग सुन के ही हैरत में पड़ जाते है।
जमुई के सिमुलतला आवासीय विद्यालय ने कमाल कर दिया है। पिछले साल की तुलना में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) की 10वीं परीक्षा का परिणाम इस वर्ष उतना अच्छा नहीं गया मगर 10वीं के टॉप 10 में अकेले जमुई के सिमुलतला आवासीय विद्यालय से 42 स्टूडेंट्स को जगह मिली है। इनमें 24 छात्राएं और 18 छात्र शामिल हैं। स्कूल ने पिछले साल के अपने रेकॉर्ड को और भी शानदार बनाने में सफलता हासिल की है।
पिछले साल भी इस स्कूल से 30 स्टूडेंट्स ने टॉप-10 में अपनी जगह बनाई थी। इस साल बिहार में 10वीं की परीक्षा में 15.47 लाख स्टूडेंट्स शामिल हुए थे। इनमें से आधे से अधिक स्टूडेंट्स फेल हो गए हैं। पिछले साल जहां 10वीं का रिजल्ट 75.17 फीसदी था वहीं इस साल मात्र 46.66 फीसदी स्टूडेंट्स को ही सफलता मिली है।
इसके बाद भी इस स्कूल के बच्चों का प्रदर्शन शानदार है। बिहार का नेतरहाट कहे जाने वाले सिमुलतला आवासीय विद्यालय, जमुई के तमाम छात्रों ने मैट्रिक में बेहतर रिजल्ट देकर यह साबित कर दिया है कि सही मार्गदर्शण और परिवेश मिले तो छात्र हर कठिनाई पर विजय पा सकते हैं.
बिहार के बंटवारे के बाद यहां का सर्वाधिक प्रतिष्ठित स्कूल नेतरहाट आवासीय विद्यालय झारखंड के हिस्से में चला गया। नेतरहाट के ही तर्ज पर बिहार सीएम नीतीश कुमार ने सिमुलतला आवासीय विद्यालय की परिकल्पना की और बतौर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 9 अगस्त 2010 को इस स्कूल की स्थापना की थी।
सिमुलतला मेँ कभी रविंद्र नाथ टैगोर ,शरद चंद चट्टोपाध्याय , विवेकानँद जैसी हस्तियाँ स्वास्थ्य लाभ लेने और किताबेँ लिखने आया करते थे. इस जगह को बिहार सरकार ने बहुत सोच समझ कर चुना था. मगर अफसोस सरकार का ध्यांन ऊतना नहीँ रहा पाया. आज भी इस पर काफ़ी ध्यान देने की ज़रूरत है.
यहां के बच्चों ने यह उपलब्धी यू ही नहीं हासिल कर लिया या चोरी या नकल कर के ले आया बल्कि कडी मेहनत और परिश्रम का यह नतीजा है।
यह है सफलता के मूल मंत्र
1. रेमेडियल क्लास: इसके अंतर्गत ऐसे छात्रों को चुना जाता है, जो किसी विषय में कमजोर होते हैं. छठी क्लस में ही ऐसे छात्रों को चुन लिया जाता है. जो छात्र जिस भी विषय में कमजोर होता है, उसके ऊपर विद्यालय के शिक्षक अलग से समय देते हैं. सप्ताह में तीन दिन दो घंटे का रेमेडियल क्लास आयोजित किया जाता है.
2. इच वन, टीच वन: गांधी जी की सोच पर आधारित इस स्टडी के तहत जूनियर बच्चों को सिमुलतला के छात्र पढ़ाते हैं. बच्चों में समाजसेवा का भाव आए, इसके लिए झाझा ब्लॉक के जितने भी बच्चे होते हैं, उन्हें सिमुलतला के छात्र हर दिन तीन घंटे पढ़ाते हैं. इससे छात्रों की प्रैक्टिस भी हो जाती है.
3. श्रुति लेख: इसके तहत हर दिन एक एसा क्लास होता है, जिसमें छात्रों को एक साथ जोर-जोर से पढ़ने को कहा जाता है. इससे छात्रों का उच्चारण बढ़ता है और झिझक मिटती है. हर प्रयोग हर क्लास के लिए करवाया जाता है. एक घंटे के इस क्लास में हर छात्र को बोल कर पढ़ने के लिए कहा जाता है.
4. खुद करें अपना काम: विद्यालय में गुरुकुल परंपरा अपनायी गयी है. इस कारण यहां पर छात्रों को खाना बनाने और परोसने का भी काम दिया जाता है. छात्रों का पूरा विकास हो, छात्रों में व्यावहारिकता आए, इस कारण खुद से ही सारा काम करवाया जाता है.
स्कूल की शुरुआत में सभी अच्छे संस्थानों से फीडबैक लिया गया था. बेसिक सुविधाओं की भले कमी हो, लेकिन यहां पर शिक्षा का माहौल ऐसा है कि हर छात्र का एक समान विकास हो. शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी रखा गया है ताकि आगे चलकर बच्चों को कोई परेशानी ना हो.
सबसे अहम बात यह है कि फीस अभिभावक के आमदनी पर निर्भर करता है. 1.5 लाख सलाना इनकम वाले पैरेंट्स के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दिया जाता है. इसके अलावा फीस के लिए कई स्लैब है. सबसे ज्यादा 15 लाख से ज्यादा इनकम वाले परिवार के लिए लड़के का फीस 1 लाख 80 हजार है और लड़की के लिए एक लाख सलाना फीस है.
इस स्कूल का क्रेज और प्रतिष्ठा इसी बात से समझी जा सकती है कि 120 सीटों पर ऐडमिशन के लिए तकरीबन 34 हजार से अधिक छात्रों ने प्रवेश परीक्षा में हिस्सा लिया था।
आज कल बिहार टॉपरों को लेकर चर्चा में है। फर्जी तरीके से टॉप करने का मामला सामने आया है। एक-दो बच्चों के कारण पूरा बिहार बदनाम हो गया मगर एसा भी नहीं है कि बिहार में सभी नकल करके ही पास होते हैं। इस बार का परिक्षा बहुत ही कराई से लिया गया है मगर फिर भी कुछ चूक हो गई है। एसा नहीं है कि एसा सिर्फ बिहार में हुआ है, एसी खबर पूरे देश से बराबर आती रहती है।
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