टीवी चैनलों ने झूठ दिखा बना दिया मोतिहारी में निर्भया कांड, जानिए पूरा सच

बिहार में निर्भया कांड, मोतिहारी में हुआ निर्भया कांड, लड़की के प्राइवेट में बंदूक घुसाया, घर में घूस कर लड़की को सड़क पर निकालकर छह लोगों ने किया गैंगरेप, रेपिस्‍ट को पकड़ो-लीपापोती मत करो…

इसी तरह की हेडलाइन्‍स आज प्राइम टाइम में है। जी न्‍यूज पर दिन में चली झूठी खबर को सारे चैनल सच बनाने को टूट पड़े। कुछ चैनलों और सोशल मीडिया के हाईली पेड कुख्‍यातों को मुस्लिम नाम दिखा नहीं कि दुकान चमकाने का मौका मिल जाता है। इसमें तो दुर्भाग्‍य से गैंगरेप और मुस्लिम आरोपी दोनों दिख गया।

 

अब जानिए टीवी चलने वाले बिहार के निर्भया गैंगरेप का असली सच
1- जिसे गैंगरेप बता रहे हैं वो दरअसल गैंगरेप या रेप है ही नहीं।
2- रामगढ़वा कांड में पीड़ित लड़की भी मुस्लिम ही है और आरोपी भी उसके गांव का ही है।
3- इस मामले में छह नहीं पांच आरोपी है, मुख्‍य आरोपी समीमुल्‍लाह को शुक्रवार को अरेस्‍ट कर लिया गया है।
4- पीड़ित लड़की के साथ समीमुल्‍लाह ने कुछ दिन पहले समीमुल्‍लाह ने दुष्‍कर्म का प्रयास किया था, लड़की सिलाई-कढ़ाई का काम करती है। उसने खुद को बचाने के लिए ब्‍लेड से समीमुल्‍लाह पर वार किया. ब्‍लेड का वार लड़के के प्राइवेट पार्ट भी हुआ। मौके से किसी तरह भाग कर समीमुल्‍लाह ने जान बचाई।

 

5- घटना से तिलमिलाया समीमुल्‍लाह ने इसके कुछ दिन बाद चार लोगों के साथ लड़की के घर पर हमला बोल दिया। घर से निकालकर लड़की को बेरहमी से पीटा गया। इस वक्‍त केवल लड़की मां थी, जिसे भी पीटा गया। घटना 15 जून की है।
6- लड़की ने पांच लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर किया, जिसमें मुख्‍य आरोपी समीमुल्‍लाह को बनाया गया। एफआईआर में पिछली घटना का जिक्र भी किया गया।
7- मेडिकल टीम की जांच रिपोर्ट में भी कहीं दुष्‍कर्म का जिक्र नहीं है। प्राइवेट पार्ट पर हमला या बंदूक डालने जैसी बातें पूरी तरह झूठ है। लड़की मोतिहारी सदर अस्‍पताल में ए‍डमित है और खतरे से बाहर है।
तो क्‍या मोतिहारी में गैंगरेप नहीं हुआ?
मोतिहारी के ही पिपरा ब्‍लॉक में 17 जून की रात 10 वर्षीय बच्‍ची के साथ गैंगरेप किया गया था। बच्‍ची परिजनों के साथ बच्‍ची आम के बाग की रखवाली करनेगई थी, जहां से उठाकर उसके साथ दो युवकों ने गैंगरेप किया।

दोनों आरोपियों को अगले दिन ही गिरफ्तार कर लिया गया। बच्‍ची अब भी गंभीर है और पटना में इलाज चल रहा है। उसे पीएमसीएच से दिल्‍ली रेफर किया जा रहा है, मगर पैसे के अभाव में अब भी वह जिंदगी और मौत से जूझ रही है, क्‍योंकि अब तक उसे मीडिया ने ‘निर्भया’ नहीं बताया गया है।
विडंबना है कि
कुछ टीवी चैनल, हिंद-हिंदू, युवक-नवयुक टाइप सेना-दल और सोशल मीडिया से अपनी दुकान चलानेवालों ने भी जानबुझ कर दोनों घटना को मिक्‍स कर बिहार की निर्भया को इंसाफ दिलाने की नौटंकी कर रहे हैं।

जिस मामले को उठाना चाहिए, जिस बच्ची को न्याय चाहिए और जिंदगी और मौत से लड़ रही है उसके लिए कोई टीवी वाले कुछ नहीं कर रहें।  उनको बस टीआरपी से मतलब है और सब बस दिखाबा है।

 

अपने को राष्ट्रीय चैनल कहने वाले टीवी चैनल को अपने जिम्मेदारियों का कोई एहसास नहीं है।  कहने के लिए तो बडी-बडी बाते करते है मगर टीआरपी के चक्कर में बिना सोचे, समझे और परखे कुछ भी दिखा देते हैं।  अनके लिए कोई नियम और नैतिकता मायने नहीं रखता।  बिहार के मामलों में यह खासकर देखा गया है कि बिहार के मामलों को बढा-चढा के दिखाया जाता है।  ऐसा करते हुए उनको शर्म तक नहीं आती।  बहुत बेशर्म हो गये हैं ये लोग।  रवीश कुमार सही बोलते है ज्यादा टीवी मत देखिए।

 

Source: Hindustan Newspaper

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