भोजपुर: 4 साल पहले मात्र 12 साल की उम्र में दुनिया का सबसे कठिन परीक्षा माना जाने वाला IIT JEE को क्रैक कर पूरी दुनिया में तहलका मचा देने वाला बिहार का सत्यम आज फ्रांस में इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए नजीर बन गया है।
। बारह वर्ष की नन्ही सी उम्र में आइआइटी के ऊंचे किले को फतह करने वाला सत्यम आज फ्रांस में इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए नजीर बन गया है। सत्यम अपनी मेधा के कायल फ्रांसिसी छात्रों को भारतीय शिक्षा पद्धति का गुर सीखा रहा है। भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के बखोरापुर निवासी रामलाल सिंह का पोता सत्यम कुमार (16) आज से चार साल पहले भारत में खूब नाम कमाया था। जब महज बारह वर्ष की उम्र में आइआइटी की प्रतियोगिता में बुलंदी का झड़ा गाड़ा था। फिलहाल सत्यम आइआइटी कानपुर में इलेक्ट्रिकल ब्राच का छात्र है।
इसी बीच फ्रांस में समर रिसर्च इन्टर्न के अवसर पर ‘ब्रेन कम्प्यूटर इन्टरफेसेज’ विषय पर रिसर्च के लिए सत्यम का चयन कर लिया गया। उसका चयन फ्रांस के चार्पैक स्कॉलरशीप तथा भारत सरकार में ‘ए सर्विस ऑफ दी एम्बेसी’ के संयुक्त तत्वावधान में ‘टू प्रमोट हाईयर एजुकेशन इन फ्रांस’ के लिए किया गया है।
वही दुसरी तरफ फ्रांस के डीयू लैब के डायरेक्टर गिल्स कौपीन ने फोन से सत्यम से बात कर छात्रों को मोटीवेट करने का प्रस्ताव भी भेजा है जिस पर सत्यम ने अपनी सहमती भी दे दी है। त्यम फिलवक्त फ्रांस के ब्रीस्ट शहर में टेलिकॉम डी सी ब्रीटेग्नी में रिसर्च का काम डीयू के लैब निर्देशक गिल्स कौपीन व फ्रांसिस्को एन्ड्रयूली के सान्निध्य में कर रहा है।
इस पर सत्यम ने फोन कर अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि फ्रांस में इस अवसर को प्राप्त कर काफी गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। जहा फ्रांस के वैज्ञानिकों के साथ बौद्धिक साझेदारी का सुन्दर अवसर प्राप्त हुआ है।
बिहार के साथ देश का नाम भी सौरभ ने रौशन किया है। इतनी छोटी उम्र में ही इतनी बडी उपलब्धि हासिल करना बहुत बडी बात है। बिहार को सत्यम पर गर्व है और उम्मीद है कि आने वाले समय में सफलताओं के बुलंदियों पर पहुंचेगा और पूरे देश का नाम रौशन करेगा।