पटना: बच्चा राय, सौरव श्रेष्ठ और रूबी राय जैसे चंद फर्जी लोगो को मोहरा बना बिहार के मेधा को बदनाम करने वालों की बोलती बंद करा रहा है #MatBadnamKaroBiharKo मुहीम।
इस मुहीम के समर्थन में दुनिया के कोने-कोने में बसे बिहारियों का समर्थन मिल रहा है। आईपीएस, पत्रकार, कारोबारी, विद्यार्थी शिक्षक, राजनेता हो या कोई साधारण इंसान, सब इसके समर्थन में आवाज बुलंद कर रहे हैं।
इस में एक नाम बिहार के उप-मुख्यमंत्री श्री तेजस्वी यादव का भी जुड गया है। उनहोंने भी इस मुहिम का समर्थन किया है और कहा है ” मैं पूरी तरह इस मुहिम का समर्थन करता हूँ, राजनीति से उपर उठिए और बिहारी होने पर गर्व करें.. ”
यह मुहिम आग की तरह सोशल मिडिया के माध्यम से पूरे बिहार में फैल रही है। अब बिहार लोग बिहार को बदनाम करने वालों को तर्क के साथ जवाब दे रहें है और लोग इस बात से सहमत है कि एक दो-नाम के सहारे बिहार को बदनाम करना गलत है।
इस से पहले सुपर 30 के संस्थापक और बिहार के गौरव आनंद कुमार भी इसका समर्थन करते हुए कहा कि ” मैं भी इस मुहिम का समर्थन करता हूँ क्योंकि दुनिया को यह पता चलना चाहिए कि बिहारी दिमाग एक पावर हाउस है और बिहारी लोग अपने क्षमता और कडी मेहनत के बदौलत इस मुकाम तक पहुँचे हैं”
बिहार बाहर बसे लोग भी इस मुहिम का समर्थन कर रहें हैं। अभी तक लाखों लोग इस मुहिम से जुड़ चुके है। आईपीएस से लेकर साधारण कर्मचारी तक इसके पक्ष में आवाज बुलंद कर रहें है।
बच्चा राय और सौरभ श्रेष्ठ बिहार के अपवाद जरुर हो सकते हैं, इन जैसे लोगों का विरोध और बहिष्कार होना ही चाहिए मगर इसे बिहार की पहचान के साथ जोडना गलत है। बिहार की पहचान आनंद कुमार, अभयानंद, सत्यम कुमार, सरद सागर, भावना कंठ जैसे प्रतिभान लोगों से है। एक अपवाद को मुद्दा बना बिहार को बदनाम करना कितना उचित है?