गया: इस बात का लगभग खुलासा हो गया कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी पर हमला किसने किया था।
खबर आ रही है कि गया में दोहरे हत्याकांड के बाद उपद्रव और आगजनी नक्सलियों की उस रणनीति का हिस्सा था, जिसका अंजाम इलाके के अलावा सूबे के एक बड़े नेता की हत्या से पूरा होना था और वह नेता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी थे। नक्सलियों को यह पता था की जीतनराम मांझी का पीड़ित परिवार के काफी करीबी रिश्ता है।
नक्सलियों की मंशा यह थी कि जंगल में जिस स्थल पर शव पड़े थे, वहां मांझी पहुंच जाएं। थोड़ी दूर उन्हें पैदल चलकर जाना पडे और उन पर जानलेवा हमला किया जाए।
डुमरिया में लोजपा नेता सुदेश पासवान और उनके भाई सुनील की हत्या पूर्व नियोजित थी।
नक्सली संगठन की शीर्ष कमेटी ने तीन माह पहले ही इसकी स्वीकृति दे दी थी। बस इंतजार था ‘बड़े सरकार’ के ग्रीन सिग्नल का।
समय, तिथि और तरीका ‘बड़े सरकार’ को ही तय करना था। यहां से इशारा मिलते ही नक्सलियों ने घटना को अंजाम दे दिया।
हालांकि डुमरिया बाजार में पहुंचते ही अनियंत्रित युवा उपद्रवियों ने सड़क पर अवरोध पैदा कर आगजनी कर रखी थी।
पूर्व सीएम का काफिला पहुंचते ही उस पर पथराव शुरू हो गया और वे बच निकले। डुमरिया कांड के बाद यह बात सब चर्चाओं से छनकर सामने आ रहीं हैं।
मांझी के बच जाने के बाद अब नक्सलियों के निशाने पर उनको बचाने बाले है। पूर्व सीएम जीतनराम मांझी को फोन कर लगातार रौशन मांझी बुला रहे थे। इसकी पुष्टि स्वयं मांझी ने भी की है।
भाजपा से जुड़े एक नेता जो डुमरिया में मौजूद थे, लगातार उन्हें फोन पर मना कर रहे थे। संभवत: उन्होंने स्थिति को भांप लिया था।
माओवादियों को इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी है। अब उक्त भाजपा नेता सहित कुछ अन्य लोग माओवादियों द्वारा चिह्नित किए जा रहे हैं।
डुमरिया कांड की जिम्मेवारी लेते हुए भाकपा माओवादी की ओर से शुक्रवार को इमामगंज, डुमरिया, बांकेबाजार इलाके में पोस्टर चस्पां किया गया था।
पूर्व सीएम जीतनराम मांझी, सांसद चिराग पासवान के साथ पूर्व एमएलसी सिंह को भी घड़ियाली आंसू नहीं बहाने को नक्सलियों ने चेतावनी दी है और पुलिस को दमन करने बाज आने को कहा है।