“बिहार और बिहारी” यह शब्द भारत के इतिहास में, वर्तमान में और भविष्य में अपना एक अलग ही महत्व रखता था, रखता है और रखता रहेगा।
मगर समय के साथ इस शब्द के मायने बदलते गए मगर यह शब्द भारतीय पटल पर हमेशा ही छाया रहा है चाहे वह सकारात्मक वजहों रहे या नकारात्मक वजहों से। यह बात भी सच है कि जो जितना प्रसिद्ध होता है उसकी बदनामी भी उतना ही होता है।
एक समय था जब बिहार देश का गौरव था , बिहारी देश का शासक था (सम्राट अशोक) और हमारा पाट्लीपुत्रा देश की राजधानी।
अगर कभी हमारा देश हिन्दुस्तान सोने की चिड़ियाँ थी तो हमारा बिहार देश का चमकता सितारा था। आज भी बिहार के इतिहास के बिना देश का इतिहास अधूरा है।
एक समय वह भी आया जब बिहार की पहचान सबसे पिछरे राज्यों में आने लगा। गर्व से बिहारी करने वाले लोग शर्म करने लगे। जिस बिहार में दुनिया भर से लोग रोजी – रोटी के लिए और पढ़ने के लिए आते थे , उसी बिहार से लोग रोजी-रोटी और पढ़ने के लिए दुनिया भर में जाने लगे। निराशा के बादल बिहार के आसमान में छा चुका था। लोग हार मानने लगे थे। बिहार और बिहारी ब्रांड खत्म हो रहा था देश में बिहार और बिहारी की गलत छवि बनने लगी कुछ लोग अपना राजनीतिक हीत देख बिहार को और बदनाम करने लगे ।
मगर कहा जाता है बिहारी जल्दी हार नहीं मानते । बिहार में फिर परिवर्तन की बयार चली । लगातार पिछले 10 सालों से बदलाव की यह मुहिम जारी है और यह सिर्फ एक व्यक्ति के कारण नहीं हुआ बल्कि सभी बिहारी लोगों के हार न मानने के जज्बा के कारण हुआ है। हम फिर अपना खोया हुआ स्वाभिमान को पाने के लिए चल चुके हैं। हालात बदल रहे हैं। फिर से बिहारी ब्रांड चमक रहा है। बिहारियों के प्रति देश लोगों में फैले गलतफैमी भी दूर हो रहे हैं। अब लोग बिहारियों को समझ रहे हैं कि”एक बिहारी सौ बीमारी” नहीं “एक बिहारी सब पर भारी होता है”
जो लोग बिहारियों को सही में समझते हैं वह जानते हैं कि जल्दी बिहारी से अच्छा दोस्त, साथी और इंसान नहीं मिल सकता। यही कारण है कि बिहारी विरोध की राजनीति करने वाले लोग आज खुद नकारे जा चुके है। शिवसेना ने बिहारी विरोध छोड़ दिया तो नफरत की राजनीति करने वाले राज ठाकरे को तो महाराष्ट्र की जनता ने ही औकात दिखा दी।
हाँ बिहारियों में काबलियत कुछ जाता है, समय से पहले समझ आ जाता है और मेहनत करना तो हमारे DNA में है इसलिए कुछ लोग हम से जलते जरुर है।
अभी हमें बहुत मेहनत करना है अपना पुराना रुतवा लाने के लिए। वह दिन फिर आएगा जब हम रोजी – रोटी कमाने बिहार से बाहर नहीं बल्कि दुनिया से लोग बिहार आएंगे और हम उन लोगों का दिल खोल कर स्वागत करेंगे क्योंकि हम दुनिया को शांति का संदेश देने वाले लोग हैं, नफरत फैलाने वाले नहीं।
और अपना यह विकसित बिहार का सपना जरुर ही सच होगा कि क्योंकि हम बिहारियों में वह क्षमता और काबलियत है कि पहाड़ का भी सीना चीर सकते हैं।
लौटेगा खोया स्वाभिमान,
अब जाग चुके तेरे सपूत …
जय बिहार!!