खुशखबरी: 17 साल बाद फिर से शुरू होगा बिहार का बरौनी खाद कारखाना, मोदी सरकार ने किया…
दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से बिहार विकाश की पटरी पर तेजी से दौड़ रहा है। मोदी सरकार ने लोकसभा के चुनाव प्रचार में बिहार की जनता से कहा था कि मैं बिहार का कर्च चुकाउंगा।
धीरे-धीरे ही सही मगर सरकार उस दिशा में आगे बढ़ रही है। बिहार सरकार बिहार के प्रति गंभिर दिख रही है।
17 साल से बंद बरौनी खाद कारखाना फिर खुलेगा, केंद्र ने कर्ज किया माफ
केंद्र सरकार की तरफ से बिहार के लिए एक और खुशखबरी आ रही है कि 17 सालों से बंद बिहार का बरौनी खाद करखाना फिर शुरु होगा। केन्द्र सरकार ने सभी कर्ज ब्याज सहित माफ कर दिया है।
बुधवार को कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्ज माफी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इससे 17 साल से बंद कारखाना को फिर से खुलने का रास्ता साफ हो गया है। 1970 में ही उत्पादन शुरु हुए हिन्दुस्तान फर्टिलाइजर काॅरपोरेशन लिमिटेड के इस कारखाने पर केंद्र सरकार का कर्ज और सूद के मद में नौ हजार करोड़ रुपए से अधिक का बकाया था।
- अकेले सूद मद में ही 7169. 35 करोड़ रुपए थे। केंद्र ने कारखाने की 56 एकड़ जमीन बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड को देने की भी मंजूरी दे दी है।
- यह जमीन बिजली मद में बकाए रकम की भरपाई के लिए दी गई है। पूर्ववर्ती बिहार बिजली बोर्ड का इस कारखाने पर करीब पांच हजार करोड़ रुपए का बकाया चल रहा था।
1970 में ही शुरु हुआ यह कारखाना 1999 में आ के बंद हो गई. हर चुनाव में इसे शुरु करने का मुद्दा इस इलाके में उठता रहा है। UPA सरकार ने भी इसे शुरु करने का वादा किया था। उस समय उर्वरक एवं रसायन मंत्री रामविलास पासवान थे। मगर आश्वासनों और वादों के बाद भी यह शुरु न हो सकी।
चुनाव में बीजेपी ने इसे चालू करने का वादा किया था। मौजूदा केंद्र सरकार ने पुनर्वास के लिए लगातार प्रयास किया। पिछले साल 31 मार्च को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कारखाने को फिर से शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।
इसके शुरु होने से परोसी राज्य को भी फायदा मिलेगा। बरौनी में उत्पादन शुरू होने से बिहार के अलावा झारखंड, उत्तर प्रदेश व प. बंगाल के किसानों को भी राहत मिलेगी। यातायात खर्च में कमी का लाभ भी मिलेगा।
इस समय देश में सालाना 320 एमएलटी यूरिया की मांग है। 245 एमएलटी यूरिया का उत्पादन घरेलू कारखानों से होता है। बाकी आयात होता है।
2020 तक बरौनी में फिर से यूरिया उत्पादन की संभावना है। इसके बाद यूरिया के आयात में भी कमी आएगी।