आज सम्पूर्ण क्रांति के नायक जय प्रकाश नारायण जी की जयंती है। स्वतंत्रा संग्राम, भूदान आंदोलन से लेकर आपातकाल के खिलाफ संघर्ष तक, जेपी ने अलग – अलग समय में देश को उचित मार्ग पर रखा। गांधी – नेहरू जैसे नेताओं के अभाव में जेपी ने खुद को स्वतंत्र भारत के गार्डियन में स्थापित किया। बिना किसी पद को ग्रहण किए जेपी ने न सिर्फ भारत को एक सफल लोकतंत्र बनाने में अपना योगदान दिया, इसके साथ उन्होंने इस देश में सामाजिक न्याय का बीज भी बोया।
आप कह सकते हैं कि देश में अब जेपी युग का अंत हो गया मगर बिहार में आज भी जेपी युग कायम है। बिहार के समाज और राजनीति पर जेपी का प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। देश के लिए जेपी आंदोलन राजनीतिक था, बिहार के लिए सामाजिक क्रांति भी था। आपातकाल के साथ देश के लिए संपूर्ण क्रांति का अंत हो गया मगर वहा से एक नई क्रांति की शुरुवात हुई।
सामंतवाद से कराह रहे बिहार में शोषित, दलित, और पिछड़ों का जनजागरण हुआ, उसे राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिला और सामाजिक न्याय का आवाज बुलंद हुआ।
जेपी एक असाधारण व्यक्ति के साथ एक क्रांतिकारी विचार थे। जिनके विचार और आंदोलन ने आजाद भारत में बहुसंख्यक ‘ गुलाम’ लोगों को आजादी और बराबरी दिलाने की मुहिम शुरू करवाई, जो अभी भी जारी है।