जगत जननी माता सीता की सबसे बड़ी प्रतिमा उनके जन्मस्थान सीतामढ़ी में लगाई जाएगी। माता सीता की विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति रामायण रिसर्च काउंसिलद्वारा निर्माण किया जाएगा। यह मूर्ति 251 फीट ऊंची, भव्य और अष्टधातु से बने होंगे। यही नहीं, सीतामढ़ी में 10 एकड़ के कैंपस में चार सौ करोड़ की लागत से भव्य मंदिर में का निर्माण किया जायेगा।
रामायन रिसर्च काउंसिल के मुख्य मार्गदर्शक श्री श्री 1008 परमहंस स्वामी सादीपेंद्र जी महाराज एवं सांसद सुनिल कुमार पिंटू रविवार को सीतामढ़ी के राजोपट्टी स्थित परिसदन में मिडया से बात करते हुए यह घोषणा किया।
ऐसी होगी विशाल प्रतिमा
काउंसिल के संस्थापक एवं महासचिव कुमार सुशांत ने बताया कि यह प्रतिमा 251 मीटर ऊंची होगी। प्रतिमा के चारों ओर वृताकार रूप में भगवती सीताजी की 108 प्रतिमाएं होंगी जो उनके जीवन-दर्शन को बिना किसी शब्द के ही वर्णित कर देगा। इन प्रतिमाओं के दर्शन के लिए इस स्थल को नौका-विहार तरीके से विकसित किया जाएगा। जानकारी दी गई कि भगवती सीताजी के जीवन-दर्शन पर आधारित एक डिजिटल-म्यूजियम का निर्माण, शोध संस्थान तथा अध्ययन केंद्र भी किया जाएगा।
सुशांत ने बताया कि इस पवित्र परिसर में सभी देवी-देवता अपने अद्भुत रूप में स्थापित होंगे, वहीं श्रीतुलसीदासजी, श्रीवाल्मिकीजी, श्रीकेवटजी समेत रामायण के प्रमुख पात्रों की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि कई शक्तिपूर्ण स्थानों जैसे- नलखेड़ा (मप्र) में मां बगलामुखी माताजी की ज्योत लाकर इस स्थल को एक पर्यटक एवं शक्ति-स्थल के रूप में विकसित करना भी उद्देश्य है।
क्या है रामायण रिसर्च काउंसिल
यह काउंसिल ट्रस्ट के रूप में एक पंजीकृत संस्था है जो भगवान श्रीराम के मानव कल्याण संदेशों को जन-जन तक प्रसार तथा देश के सांस्कृतिक मूल्यों के संवर्धन का कार्य करती है। यह काउंसिल प्रभु श्रीराम मंदिर संघर्ष पर पुस्तक-लेखन का कार्य भी कर रही है जो 1108 पृष्ठों की है तथा हिन्दी के अलावा 10 अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में भी अनुवाद हो रहा है।
प्रेस वार्ता में मौजूद रामायण रिसर्च काउंसिल के नेशनल कोऑर्डिनेटर तथा जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हिमालयन योगी स्वामी वीरेंद्रानंद जी महाराज ने कहा कि यह विशाल प्रतिमा भारत के सांस्कृतिक मूल्यों का संवर्धन करेगा। उन्होंने कहा कि हम माता सीताजी पर जितना अधिक कार्य करेंगे, नारी-सशक्तीकरण को उतना अधिक बल मिलेगा, क्योंकि माता सीताजी ही हैं जो धैर्य और साहस की तब तक उदाहरण रहेंगी, जब तक यह धरती रहेगी।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हम काउंसिल के माध्यम से पूरे विश्व में माता सीताजी के जीवन-दर्शन का प्रसार कर भारत को विश्व-गुरू बनने में बल मिलेगा। साथ ही, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सशक्त भारत को भी नया आयाम मिलेगा।
सांसद श्री पिंटू ने बताया कि इसके लिए हमें 10 एकड़ भूमि की आवश्यकता है, जल्द ही हम बातचीत कर स्थान को चिन्हित कर लेंगे। सांसद ने कहा कि जगतजननी मां जानकीजी से संबंधित सीतामढ़ी की धरा पर ऐसे ऐतिहासिक कार्य को लेकर वह स्वयं शुरू से चिंतनशील रहे।
सांसद ने इस पुनीत कार्य के लिए रामायण रिसर्च काउंसिल के मुख्य मार्गदर्शक परमहंस स्वामी सांदीपेंद्र जी महाराज (मध्य प्रदेश में नलखेड़ा स्थित बगलामुखी माता मंदिर प्रांगण के श्रीमहंत) को भी धन्यवाद कहा। सांसद श्री पिंटू ने बिहार में सांस्कृतिक चेतना को लगातार बढ़ावा देने के लिए मौजूदा नीतीश सरकार की प्रतिबद्धताओं और उपलब्धियों की भी सराहना की। साथ ही उन्होंने इस पुनीत कार्य में जनमानस से जुड़ने की अपील भी की।