बिहार के चुनाव में एनडीए गठबंधन को अगर एक लाइन में समझना हो तो इस से बेहतर लाइन नहीं हो सकती है – एक भतार के दू लुगाई।
आप कह रहे होंगे ई क्या बक रहे हो बे? यहां बात राजनीति की हो रही है और तुम परिवारिक मैटर डिस्कस कर रहे हो? तो भईया बिहार में इस बार चुनाव में इस नए राजनीतिक सिद्धांत का जन्म हुआ है।
भाजपा का लोजपा और जदयू दोनों से गठबंधन है। दोनों पार्टी बिहार के चुनावी मैदान में है और वो भी एक दूसरे के खिलाफ। चुनाव में इनकी लड़ाई ठीक वैसे ही होगी जैसे दो सौतन की होती है।
भाजपा एक को दिल्ली वाले घर में रखी है तो दूसरे को पटना में। फिलहाल बिहार चुनाव और मौके के नज़ाकत को देखते हुए भाजपा का झुकाव जदयू के तरफ है मगर लोजपा को तलाक का पेपर भेजा नहीं है। उधर लोजपा भी ‘ भतार’ को खुश करने और उसके करीब आने की पूरी कोशिश कर रही है।
अरे भईया समाज में भयंकर पितृसत्ता कायम है – यहां शादी बचाने कि जिम्मेदारी लुगाई की ही होती है। लोजपा हो या जदयू – चुनाव में अच्छा प्रदर्शन की तो उसका क्रेडिट भाजपा को जाएगा और अगर हार गई तो इन दोनों की ही किस्मत फूटी थी।
सबके सामने भाजपा जदयू का हाथ पकड़कर अपने प्रेम का इज़हार (प्रेस वार्ता) बार – बार कर रहा है और जदयू को खुश करने के लिए फेसबुक पर लोजपा को साथ वाला सेल्फी (चुनाव प्रचार में मोदी जी का फोटो) डालने से मना भी किया है और अगर लोजपा अपने जिद पर अड़ी रही तो कानूनी करवाई करने का भी धमकी दिया है।
हालांकि जदयू को भाजपा के बेवफ़ाई का हमेशा डर बना हुआ है। लोजपा के साथ केंद्र में सगाई और राज्य में लड़ाई वाली बात उसे पच नहीं रहा और अन्दर ही अन्दर खाए जा रही है।
देखना दिलचस्प होगा कि लोजपा खुद को चुनाव में साबित कर के फिर से भाजपा के करीब आ पाएगी? या फिर से नीतीश कुमार अपने अदाओं से भाजपा को अपने बस में कर लेगी।
इस बार का चुनाव मजेदार है न??
– अविनाश कुमार (लेखक aapnabihar.com के संपादक हैं)