क्या एनडीए में सब कुछ ठीक है? अगर ठीक है तो पहले चरण के नॉमिनेशन में सिर्फ कुछ ही घंटे बचे हैं और अभी तक संयुक्त प्रेस वार्ता करके सीटों के बटवारें की घोषणा क्यों नहीं किया गया है? घोषणा से पहले जदयू और हम टिकट कैसे बांट रहे हैं?
राजनीतिक विश्लेषकों का माने तो पहले लोजपा (LJP) ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दिया हो मगर उसके एनडीए में खलबली मचा दी है। कहा जा रहा है कि लोजपा को मोहरा बनाकर बीजेपी (BJP) एक तीर से दो निशाना लगना चाहती है। एक तरफ वह जदयू के साथ गठबंधन में रहकर नीतीश (Nitish Kumar) के चेहरे का फायदा लेगी, वहीं दूसरे तरफ लोजपा के मदद से वह जदयू (JDU) को नुकसान पहुंचाकर चुनाव बाद बिहार में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में खुद को स्थापित करना चाहती है, ताकि वे अपने शर्त पर बिहार के सत्ता को चला सके।
कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार इस बात को समझते हैं और बीजेपी और लोजपा का यह गठजोड़ अखर रहा है।
इसके अलावा अभी गठबंधन में कई पेंच है। सबसे बड़ा पेंच सीटों को लेकर है। जदयू किसी भी कीमत पर बीजेपी से कम से कम एक सीट ज्यादा लड़ना चाहती है मगर सहमति नहीं बन पाने पर आधे – आधे सीट पर बात तय हुई थी। जिसमें जदयू को अपने कोटे से हम को एडजस्ट करना था तो बीजेपी को लोजपा को। ऐसे में जदयू मान कर चल रही थी कि लोजपा और हम को अपने कोटे का सीट मिलने के बाद स्वतः जदयू बड़े भाई के भूमिका में आ जाएगी। मगर लोजपा के अकेले चुनाव लडने के घोषणा कारण पूरा दाव ही उलटा पड़ गई।
अब पुराने फॉर्मूला लागू हुआ तो बीजेपी सबसे ज्यादा सीट पर चुनाव लडेगी।
मुकेश सहनी हो सकते हैं एनडीए में शामिल
खबर है कि बीजेपी लोजपा के जगह वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी को गठबंधन में सामिल कर सकते हैं। मुकेश सहनी हाल ही में महागठबंधन से बाहर हुए हैं और उन्होंने तेजस्वी पर पीठ पर घोपने का आरोप लगाया है। मुकेश सहनी का निषाद समाज में प्रभाव है, एनडीए मुकेश सहनी को जोड़ लोजपा का कमी भर सकती है। मगर इसमें सबसे बड़ी समस्या है कि मुकेश सहनी का डिमांड काफी ज्यादा है। वे महागठबंधन में 25 सीट और उपमुख्यमंत्री का पद मांग रहे थे। क्या बीजेपी उनकी मांग पूरी कर पाएगी?