यूपीएससी 2019 का रिजल्ट घोषित हो गया है| हर बार के तरह इसबार भी कई बिहारियों ने इस परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया है| भागलपुर के श्रेष्ठ अनुपम को यूपीएससी में 19 वां रैंक आया है। वे दिल्ली आईआईटी से कैमिकल इंजीनियर हैं। उन्होंने दूसरे प्रयास में बाजी मारी है। अनुपम ने बताया कि पहली बार वे बिना किसी तैयारी हुए थे। इस बार उन्हें सफल होने का पूरा विश्वास था। उन्होंने वर्ष 2012 में दसवीं परीक्षा सेंट जोसेफ स्कूल से पास की। उस समय वे देश के सेकेंड टॉपर हुए थे। उनके पिता विनीत कुमार अमर कारोबारी हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने भी दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढा़ई की थी। सिविल सर्विस में आना चाहते थे मगर परीक्षा में सफल नहीं हो पाए। बेटे की सफलता से उन्हें बहुत खुशी हैं। अनुपम की मां भी एमएससी पास हैं। अनुपम के एक मामा इनकम टैक्स कमिश्नर हैं जो पीरपैंती के रहने वाले हैं। अनुपम का घर भागलपुर शहर के खलीफाबाग चौक के पास है।
वहीं बिहार के गोपालगंज के रहने वाले प्रदीप सिंह ने देशभर में 26 वां स्थान लाकर जिले के साथ राज्य का नाम रौशन किया है| पिछले साल भी इस परीक्षा में 93वीं रैंक हासिल की थी। लेकिन रैंक अच्छी नहीं होने के चलते इंडियन रेवेन्यू सर्विस मिला था।प्रदीप के पिता इंदौर में रहते हैं मगर मूल रूप से वे बिहार के हैं|
सीतामढ़ी जिले के नानपुर प्रखंड के बेला गांव के दीपांकर चौधरी ने यूपीएससी की फाइनल परीक्षा में 42वां स्थान पाया है। वे पिछले साल भी सेलेक्ट हुए थे। तब दीपंकर को 166वां रैंक मिला था। वो अभी आईपीएस की ट्रेनिंग ले रहे हैं। दीपांकर के पिता रंजन चौधरी झारखंड सरकार में संयुक्त सचिव पद से सेवानिवृत्त हैं। बहन अभी सीतामढ़ी में ही डॉक्टर हैं।
जहानाबाद जिले की डॉक्टर हर्षा प्रियंवदा ने भी बाजी मारी है। यूपीएससी में सफलता का परचम लहराने वाली हर्षा को 165 वीं रैंक मिली है। शहर के जाने-माने व्यवसायी लक्ष्मी फैशन प्रतिष्ठान के संचालक दिलीप कुमार की भतीजी हर्षा प्रियंवदा वर्तमान में एमबीबीएस डॉक्टर हैं।
पटना से सटे जगमाल बिगहा के मूल निवासी अभिषेक कुमार ने भी इस प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता पाई हैं। जिन्होंने तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा क्रैक की। अभिषेक ने 452 वां रैंक हासिल किया है। साक्षी समाचार प्रतिनिधि ने अभिषेक से उनकी सफलता की बाबत विस्तार से बात किया।
अभिषेक का रिजल्ट जगमाल बिगहा के लोगों के लिए खुशियों भरा संदेशा लेकर आया। घर में बेटे की कामयाबी की खुशियां मनाई जा रही है। पिता किसान हैं, जोत इनती बड़ी नहीं कि ठाठ से बैठकर आराम करें। लिहाजा खुद ही खेत में दिनभर पसीना बहाना होता है। मां को तो बस इतना पता है कि बेटा बड़ा अफसर बनने वाला है। पास पड़ोस के गांव वाले भी अभिषेक के घर जुटने लगे हैं और बधाइयों का सिलसिला जारी है।