बिहार के बक्सर जिले का इकलौता केंद्रीय विद्यालय 17 वर्षों से भूमिहीन है। बता दें कि केंद्रीय विद्यालय बक्सर की स्थापना सन् 2003 में हुई थी। तब से केंद्रीय विद्यालय बक्सर के एम. पी. हाई स्कूल के प्रांगण में चल रहा है। जी हां, आपको यह जान कर हैरानी होगी कि एक ही विद्यालय परिसर में 2 विद्यालय कैसे चल सकते है? एम पी हाई स्कूल के कुछ कमरे में केंद्रीय विद्यालय की कक्षाएं चलती है। लेकिन सवाल यह उठता है कि कब तक इस जुगाड के जमीन पर विद्यालय चलता रहेगा।
बीते दिनों विद्यालय के पूर्ववर्ती छात्र- छात्राओं ने सोशल मीडिया पर प्लेकार्ड के द्वारा सरकार से ज़मीन की मांग कर रहे हैं। ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सएप पर इस मुहिम को और तेज किया गया है। बता दें कि विद्यालय के फर्स्ट बैच के छात्र चंदन कात्यान के नेतृत्व में इस मुहीम को चलाया जा रहा है।
दैनिक भास्कर में रिपोर्ट के अनुसार
दैनिक भास्कर में एक छपी हुई रिपोर्ट के अनुसार यह पता चलता है कि एक आर. टी .आई के जवाब में केंद्रीय विद्यालय संगठन ने जानकारी दी है कि वर्ष 2013 में जो जिला प्रशासन के द्वारा सिंचाई विभाग की जमीन चिन्हित किया गया था वह मानक के अनुरूप नहीं है। केंद्रीय विद्यालय संगठन ने प्रशासन एवं सरकार से अन्य जगह जमीन देने का आग्रह किया है।
केंद्रीय विद्यालय सतरह वर्षों से अपनी जमीन मांग रहा है
केंद्रीय विद्यालय बक्सर सालो से सिर्फ दसवीं तक ही बच्चों को शिक्षा दे पाता है, जिसमें हरेक कक्षा के केवल एक ही सेकसन है जबकि देश के अन्य केंद्रीय विद्यालय बारहवीं तक की शिक्षा देते हैं और हरेक कक्षा के 2-3 सेकसन है। यहां से दसवीं पास किए हुए बच्चो को आज भी दूसरे स्कूल जाना पड़ता है जिन्हे कभी उन्हें मनमाना विषय नहीं मिलता तो कहीं मनमाना विद्यालय। पूरे देश में केंद्रीय विद्यालय अपने बेहतर शिक्षा के लिए जाना जाता है ऐसे में देश का एक केंद्रीय विद्यालय अपने निजी जमीन के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहा है यह वहां पढ़ रहे बच्चो और जिले के सभी लोगो के साथ नाइंसाफी है।
2003 से केंद्रीय विद्यालय बक्सर आज भी अपने निजी जमीन से वंचित है, और अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक यह पता चलता है कि बिहार राज्य सरकार इस विद्यालय में अपना कोटा निर्धारित करवाना चाहती है जो केंद्र सरकार को मौजूद नहीं है। बहरहाल, समस्याएं जो भी इस मामले में केंद्र एवम् राज्य सरकार आपसी तालमेल के साथ आगे आए और विद्यालय को जमीन दिलवाएं।