लॉकडाउन में फंसे करीब 25 लाख प्रवासी मजदुर बिहार लोटे है। सरकार ने दवा किया था की वापिस आए मजदूरों को बहार जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। उन सबको बिहार में ही रोजगार मिलेगा। लेकिन, सरकार का दवा फैल होता दिख रहा है। हालांकि, एक बार फिर मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की चुनौती आ खड़ी हुई है। इस कारण इन मजदूरों ने फिर से दूसरे राज्यों में पलायन शुरू कर दिया है।
प्रवासी मजदूरों का कहना है की अगर रोजगार नहीं मिला तो वह भूख से ही मर जाएंगे। दूसरे राज्यों में मालिकों ने उनके लिए वातानुकूलित बसें भेजी है। तेलांगना और तमिलनाडु की रियल एस्टेट कंपनिया तो हवाई जहाज भेज रही है। इस बिच बिहार सरकार कह रही है कि बिहार में ही रहिये, यही रोजगार मिलेगा। ऐसे में मज़दूर विवश हैं और इसलिए वापस दूसरे राज्यों में लौटने के लिए तैयार हैं।
पेट पालने की मजबूरी के कारण मजदुर जा रहे है दूसरे राज्ये
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार मजदूरों से संवाद किया और उनसे दोबारा रोजगार ढूंढने के लिए अन्य राज्यों में नहीं जाने की अपील की थी। इसके बावजूद अपने राज्य में रोजगार की बेहद कम संभावनाओं को देखते हुए लॉकडाउन के दौरान लाखों की संख्या में बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों ने अब फिर दूसरे राज्यों मे पलायन शुरू कर दिए हैं। पूर्णिया से तकरीबन डेढ़ दर्जन प्रवासी मजदूरों को हरियाणा के पानीपत ले जाने के लिए बकायदा उनके मालिक ने एक बस भेजकर उन्हें वापस बुला लिया। बिहार के मुजफ्फरपुर, मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, सुपौल, सहरसा और समस्तीपुर से रोज बिहार लौटे प्रवासी मजदूर ट्रेन और बस के माध्यम से अन्य राज्यों में पलायन कर रहे हैं।
कोविड-19 के खतरे के बावजूद जा रहे मजदूर
दुनियाभर के तमाम देशों के साथ-साथ भारत में भी कोरोना वायरस का कहर तेजी से बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 2,56,611 हो गई है। पिछले 24 घंटे में कोरोना के 9,983 नए मामले सामने आए हैं और 206 लोगों की मौत हुई है। इसके बावजूद भी मजदुर दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे है। मजदूरों का कहना है कि वो अपने परिवार को पालने के लिए और रोजगार के लिए वापस लौट रहे हैं। “हमारे मालिक ने हमारे लिए बस भेजी है और इसलिए अब हम मजदूरी में वापस लौट रहे हैं।”
पानीपत लौटने वाले प्रवासी मजदूर मोहम्मद नैयर ने कहा, हमलोग काम करने के लिए हरियाणा के पानीपत जा रहे हैं। वहां के एक बड़े किसान ने सरकार से अनुमति प्राप्त करने के बाद हम लोग के लिए बस भेजी है। कोविड-19 के खतरे के बावजूद भी परिवार का पेट पालने के लिए हम लोगों को बाहर जाना पड़ रहा है।
सहरसा लौटे प्रवासी मजदूर बसंत शर्मा ने कहा, हम अमृतसर से वापस सहरसा लौटे थे मगर अब दोबारा कमाने के लिए वहीं जा रहे हैं। बिहार में कोई काम धंधा है नहीं। अमृतसर में मालिक का फोन आ रहा है कि ज्यादा पैसा देंगे और जल्दी आ जाओ, इसीलिए हमे जाना पड़ रहा है।
कई राज्यों में शुरू है पलायन
वहीं, सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि कई दूसरे राज्यों से मजदूर पलायन कर रहे है। कुछ रिपोर्ट्स की माने तो पिछले एक हफ्ते में पंजाब, हरियाणा, मुंबई और गुजरात के लिए ट्रेन और बस के जरिए कई प्रवासी मजदूर रवाना हो चुके हैं और लगभग रोजाना ही हजारों की संख्या में मजदूरों का पलायन जारी है।