एक तरफ बिहार के युवा अपने राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ाने, बंद पड़े पुराने कारखानों को फिर से चालू करने और नए उद्योगों को राज्य में स्थापित करने की मांग कर रहे हैं। दूसरे तरफ राज्य में चल रहे कारखाना भी बंद होने के कगार पर हैं।
सीतामढ़ी जिला के शिवहर बॉर्डर पर स्थित रिगा चीनी मिल बंद होने के कगार पर है। हजारों किसानों का इस मिल पर करोड़ों का बकाया है। मिल प्रबंधन गन्ना मूल्य का करीब 115 करोड़ तथा लिमीट (केसीसी) के 70 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं कर रहा है। इसी सत्र में करीब करीब 60 करोड़ का बकाया है।
बकाया का राशि नहीं देने के लिए साजिश के तहत मिल को धीरे – धीरे बंद करने का आरोप है।
मिल को बंद करने संबंधित खबर लॉकडाउन से पहले से आ रही है मगर अब लॉकडाउन का बहाना बनाकर एक साथ 600 लोगों को मिल ने काम से निकाल दिया गया। है
मिल प्रबधन ने अचानक गेट पर यह नोटिस चिपका कर लोगों को काम से निकालने का फरमान सुना दिया। रातों रात 600 लोग रोड पर आ गए। मिल प्रबंधन काम नहीं तो पैसा नहीं की बात कह रही है तो वहीं रीगा चीनी मिल वकर्स यूनियन के महामंत्री मनोज कुमार का कहना है – “हम लोगों ने शनिवार तक काम किया है। दो महीने काम से हटाने या फिर दूसरे किसी फैसले की जानकारी ना तो कर्मियों को दी गई और ना ही यूनियन को कोई सूचित किया गया। जब वे लोग मिल पर आए तो इस नोटिस को चीनी मिल के गेट पर पहुंचे तो नोटिस चिपका हुआ पाया।”
सीतामढ़ी और शिवहर जिला का यह इकलौता चीनी मिल है। मिल से 40 हजार किसान जुड़े हैं और आस पास के क्षेत्र की अर्थव्यवस्था इसी मिल पर निर्भर है।
2018-19 के पेराई सत्र में जहां 46 लाख क्विटल गन्ने की पेराई हुई थी वहीं इस बार 2019-20 में आधा से भी कम मात्र 20 लाख क्विटल पेराई हो पाई है। अप्रैल में बंद होने वाली पेराई इस बार समय से पहले दो माह पूर्व 27 फरवरी को ही बंद हो गया था।
मिल मालिक ने सरकार से मांगा था लोन
न्यूज 18 में प्रकाशित एक खबर के अनुसार रीगा चीनी मिल राज्य सरकार से मदद की गुहार लगा रहा था। चीनी मिल प्रशासन का कहना था कि यदि सरकार मिल को अगर सॉफ्ट लोन के तहत 40 करोड़ रुपए उपलब्ध करा देती है तो वे अपने किसान और कर्मियों को भुगतान कर सकते हैं। किंतु राज्य सरकार ने चीनी मिल की इस अपील पर ध्यान नही दिया।
एक तो बिहार में वैसे ही गिने चुने कारखाने बचें है जो चल रहे हैं। वर्षों से राज्य में कोई बड़ा उद्योग भी नहीं लगा है और उपर ब्ज अभी बेरोजगारी सब समय से ज्यादा है। अगर इस समय एक भी कारखाना बंद होता है तो यह राज्य के लिए त्रासदी से कम नहीं है। बिहार के युवा ट्विटर पर लगातार #IndustryinBihar कैंपेन चला रही है, ताकि सरकार पर नए उद्योग लगाने का दवाब बढ़ सकें तो दूसरे तरफ सरकार अपने वर्तमान उद्योगों को भी बंद होने से नहीं रोक पा रही है।