Aapna Bihar ने एक 15 वर्ष की लड़की ज्योति कुमारी का एक बीबीसी का विडियो शेयर किया था| ज्योति ने लॉकडाउन में फसे अपने पिता को गुरुग्राम से साईकल के कर्रिएर पर बैठाकर दरभंगा लेकर आ गयी| एक 15 साल की बच्ची द्वारा अपने पिता को बैठाकर 1200 किलोमीटर का सफ़र साईकल से मात्र ७ दिन में तय करना साधारण काम नहीं है| ज्योति के इस काम के लिए उसको सोशल मीडिया पर लोगों की तारीफ तो मिल ही रही है, इसके साथ भारतीय साइकिलिंग फेडरेशन भी ज्योति के इस कारनामें से आश्चर्यचकित है|
भारतीय साइकिलिंग फेडरेशन ने ज्योति को अगले महीने ट्रायल के लिए दिल्ली बुलाया है| फेडरेशन के चेयरमैन ओंकार सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि अगर आठवी क्लास की छात्रा ज्योति यह ट्रायल पास कर लेती है तो आईजीआई सपोर्ट काम्प्लेक्स में स्थित स्टेट-ऑफ़-द-आर्ट नेशनल साइकिलिंग अकैडमी में ट्रेनी के रूप में चयनित हो जाएगी|
ज्ञात हो कि यह अकैडमी सपोर्ट अथॉरिटी के अधीन आता है और यह एशिया की सबसे विकसित साइकिल अकैडमी है| यह खेलों के अंतराष्ट्रिय संस्था UCI से भी मान्यता प्राप्त संस्था है|
ओंकार सिंह ने कहा, “हमने आज सुबह लड़की से बात की और हमने उसे बताया कि उसे अगले महीने दिल्ली बुलाया जाएगा जब लॉकडाउन खत्म हो जाएगी। उसकी यात्रा, ठहरने और अन्य खर्चों का सारा खर्च हमारे द्वारा उठाया जाएगा। अगर उसे घर से किसी के साथ जाने की जरूरत है, तो हम इसकी अनुमति भी देंगे। हम अपनी बिहार राज्य इकाई के साथ परामर्श करके देखेंगे कि उसे परीक्षण के लिए दिल्ली कैसे लाया जा सकता है”
पत्रकार ने जब सिंह से ज्योति को यह ऑफर देने के पीछे वजह पूछी तो उन्होंने ने बताया, ” । मुझे लगता है कि 1200 किमी से अधिक नीचे साइकिल चलाना एक औसत काम नहीं है। उसके पास ताकत और शारीरिक सहनशक्ति होना चाहिए। हम इसका परीक्षण करना चाहते हैं। हम उसे एकेडमी में रखे गए कम्प्यूटरीकृत चक्र पर बैठेंगे और देखेंगे कि क्या वह चयनित होने के लिए सात या आठ मापदंडों को संतुष्ट करता है। उसके बाद वह प्रशिक्षुओं में से हो सकती है और उसे कुछ भी खर्च नहीं करना होगा।”