हर साल की तरह इस बार भी बिहार में चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) ने बिहार के मुजफ्फरपुर में दस्तक दे चुकी है| शनिवार को एसकेएमसीएच में एक बचें की मौत के बाद इस महीने चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या चार हो गयी|
चमकी (AES) के आने के साथ इस बार सरकार भी इससे निपटने को तैयार है| पिछले बार सड़कों बच्चों के मौत के बाद हुई किरकिरी के बाद नीतीश कुमार पूरी तरह से सतर्क हैं| यही कारण है कि मात्र आठ महीने के रिकॉर्ड समय में बिहार सरकार एक अस्पताल में 100 बेड की पीडियाट्रिक्स इंटेंसिव केयर यूनिट (PICU) का निर्माण कर दिया है|
अगले सप्ताह सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी द्वारा श्री किशन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एसकेएमसीएच) में लोगों की सेवाओं के लिए इसको समर्पित कर दिया जायेगा| इसकी जानकारी खुद स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने दी है|
इसके उद्मुघाटन के साथ जफ्फरपुर के एसकेएमसीएच देश का पहला अस्जपताल हो जायेगा जहाँ एक स्थान 100 बेड का पीआईसीयू अस्पताल हो। इसके अलावा, एसईएमसीएच में 60 बेड का विशेष रूप से डिजाइन और विकसित एईएस वार्ड बनाया गया है और एईएस प्रभावित के इलाज के लिए अस्पताल प्रशासन को सौंप दिया गया है।
ज्ञात हो कि गर्मी के महीने हर साल मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चें मरते हैं| अकेले पिछले वर्ष 150 से ज्यादा बच्चों की जान चली गयी| अपने गलतियों से सीखते हुए सरकार इसबार सतर्क है| कोरोना से लड़ते हुए, चमकी बुखार के जांच में भी कोई कसर न छुट जाये इसके लिए व्यवस्था की जा रही है| अगर इसबार चमकी बुखार का कहर रोक लिया गया तो बिहार सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि होगी|
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