क्या कोरोना संकट के दौरान दक्षिण कोरिया मॉडल पर होगा बिहार विधान सभा चुनाव?
दक्षिण कोरिया ने हाल ही में कोविद -19 महामारी के कारण चल रहे संकट के बावजूद संसदीय चुनाव कराए थे
COVID-19 महामारी के कारण देश में लॉकडाउन है| महामारी न फैले इसके लिए सरकार देश में सामाजिक दूरी के नियम का पालन करवा रही है| मगर पूरी दुनिया में अभी तक इस महामारी का इलाज नहीं है और इसका प्रकोप पूरी तरह कब समाप्त होगी इसका भी कोई अनुमान नहीं है| इसलिए अब इस संकट के छाये में जिन्दगी को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है|
बिहार में इसी साल विधान सभा का चुनाव होना है| वर्तमान विधान सभा इस साल के नवम्बर के महीने में समाप्त होगा| इससे पहले मार्च में, चुनाव आयोग ने प्रकोप के कारण राज्यसभा चुनाव को 18 सीटों के लिए टाल दिया था। अभी नई तारीखों की घोषणा नहीं की गई है। मगर अब खबर है की चुनाव आयोग कोरोना के संकट के छाये में ही चुनाव कराने की तैयारी कर रहा है|
चुनाव आयोग तय समय पर बिहार विधान सभा चुनाव कराने के लिए दक्षिण कोरिया मॉडल का अध्यन कर रहा है|
ज्ञात हो कि दक्षिण कोरिया ने हाल ही में कोविद -19 महामारी के कारण चल रहे संकट के बावजूद संसदीय चुनाव कराए थे| जिसमें राष्ट्रपति मून जे-इन को चुनाव के बाद फिर से चुना गया।
क्या है चुनाव का दक्षिण कोरिया मॉडल?
दक्षिण कोरिया में संपन्न हाल में कराये गये संसदीय चुनाव में कोविद -19 के प्रसार को रोकने के लिए सख्त मतदाता सुरक्षा उपायों की शुरुआत की गई थी। मतदाताओं के लिए मास्क और दस्ताने पहनना अनिवार्य कर दिया गया था, उनका तापमान जांचा गया था और मतदान केंद्र पर पहुंचने पर हाथों को सेनेटाइज करने की व्यवस्था की गयी थी।
इसके साथ आपको यह भी जानकारी होनी चाहिए कि कि दक्षिण कोरिया ने बड़े पैमाने पर प्रकोप को देशभर में रोकने में कामयाबी हासिल की है, इसकी जनसंख्या 51 मिलियन की तुलना में लगभग 10,000 लोगों में संक्रमण फैलने की पुष्टि की गई है।
भारतीय चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार आयोग चुनावों के दौरान प्रक्रियाओं में दक्षिण कोरिया द्वारा किये संशोधन को ध्यान में रख सकता है। एक सूत्र ने कहा कि स्वास्थ्य अधिकारियों और अन्य सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा| इसके साथ आने वाले दिनों में के स्थिति पर सबकुछ निर्भर करेगा।
बिहार चुनाव में क्या कोरोना का प्रभाव दिखेगा?
बिहार में रूचि रखने वाले राजनितिक पंडितों का कहना है कि बिहार चुनाव में कोरोना महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा| बिहार के वर्तमान नीतीश सरकार द्वारा कोरोना से निपटने के लिए क्या कोशिश की इसका हिसाब जनता जरुर करेगी| बिहार चुनाव में पहली बार स्वास्थ्य व्यवस्था प्रमुख मुद्दा बन सकता है| इसके साथ अनेक प्रदेश में फसे बिहार के लाखों प्रवासी मजदूरों को हो रहे परेसानी के कारण पलायन और राज्य में अवसरों की कमी होना भी एक बड़ा मुद्दा बन सकता है|
हालांकि सरकार मजदूरों के खाता में एक-एक हज़ार रुपया भेजी है, इसके साथ राज्य में मुफ्त राशन के साथ इनेक योजनाओं के पैसे भेजे गये हैं| मगर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्ष आक्रामक है| वो राज्य में संसाधनों की कमी, बेरोजगारी, बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था और सरकार के लापरवाही जैसे मुद्दें लगातार उठा रहे हैं|
चुनाव आयोग चुनाव की तैयारी कर रहा है| ऐसे में सरकार समेत विपक्ष के लिए भी तेस महामारी के दौरान चुनाव की तैयारी करना एक चैलेंज होगा| राजनितिक दलों को अपने रणनीति में बदलाव करना होगा और महामरिसे बचते हुए चुनाव की तैयारी शुरू करनी होगी|