कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के बढ़ने की वजह से राजस्थान के कोटा में 35 हजार बच्चे फंस गए हैं। बिहार के अलग-अलग जिलों के सैकड़ों छात्र कोटा में फंसे हुए हैं। इन छात्रों में करीब 12-13 हजार लड़कियां हैं| कोटा में फंसे हुए छात्र बिहार आना चाहते हैं ।
वहां हॉस्टल में रहकर सभी लोग परेशान हो चुके हैं। होस्टल के बाहर रह रहे छात्रों को और अधिक परेशानीयों का सामना करना पड़ रहा है| मेस बंद होने के कारण खाने की भी दिक्कत हो रही है| ज्ञात हो कि यूपी-बिहार से लाखों छात्र दसमीं बाद इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों के प्रवेश परीक्षा के तैयारी के लिए कोटा पढ़ने जाते हैं|सबसे बड़ी चिंता की बात है कि वहां फसे ज्यादातार छात्र नाबालिक है|
अकेले रहने की वजह से कोटा में फंसे छत्रों में तनाव बढ़ रहा है। यहां के जिला प्रशासन और कोचिंग संस्थानों ने सहायता केंद्र बनाए हैं। हेल्पलाइन नंबर पर छात्र फोन कर लगातार घर जाने की जिद कर रहे हैं। कोचिंग संस्थानों और जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार कोटा में आठ राज्यों के छात्र फंसे हैं, इनमें से सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्र हैं।
हालांकि कोटा प्रशासन ने कई छात्रों को अपने घर लौटने के लिए पास जारी किए, लेकिन बिहार सहित दूसरे राज्य उन बच्चों को राज्य की सीमा में दाखिल नहीं होने दे रहे हैं। इसकी वजह से यह प्रक्रिया रोक दी गई है।
राज्यों का कहना है कि कोटा में कोरोना के मरीज पाए गए हैं और वहां अभी तक 50 लोग इस वायरस से संक्रमित हुए हैं, राज्य में संक्रमण फैलने का खतरा है इसलिए छात्रों को रोका गया है। बिहार सरकार ने राजस्थान सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए केंद्र को पत्र भी लिखा है।
हालांकि अच्छी खबर ये है कि कोटा का कोचिंग क्षेत्र अभी तक इस बीमारी से अछूता है। कोचिंग संस्थानों और हॉस्टल संचालकों ने बच्चों के खाने-पीने के लिए इंतजाम भी किए हैं, लेकिन उनके माता-पिता चिंतित हैं।
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