ऐसे समय में जब कई राज्यों के प्रवासी श्रमिक राष्ट्रव्यापी कोरोनावायरस लॉकडाउन के कारण घर लौट रहे थे, तेलंगाना ने बिहार से तेलंगाना में चावल मिलों में कार्यरत श्रमिकों को वापस भेजने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने रविवार रात संवाददाताओं से कहा कि मुख्य सचिव सोमेश कुमार अपने बिहार के समकक्ष से बात करेंगे ताकि उन्हें मजदूरों को वापस भेजने का अनुरोध किया जा सके।
राव ने कहा कि यदि आवश्यक हो तो वह बिहारी प्रवासी श्रमिकों को वापस लाने के लिए कुछ विशेष ट्रेनों की व्यवस्था करने के लिए केंद्र से बात करेंगे।
तेलंगाना ने लॉकडाउन के मद्देनजर गांवों में नामित खरीद केंद्रों पर किसानों से रिकॉर्ड 1.05 करोड़ टन धान खरीदने की तैयारी की है, अधिकारियों का मानना है कि बिहार के उन मजदूरों के बिना काम पूरा नहीं किया जा सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चावल मिलों में 95 प्रतिशत श्रमिक बिहारी प्रवासी थे। चावल के ट्रकों को लोड करने और उतारने वाले ये श्रमिक ‘होली’ के लिए बिहार गए थे और अब तालाबंदी के कारण वहां फंसे हुए हैं।
मजदूरों से हिन्दी में बोले KCR- आप हमारे भाई, कहीं मत जाइए
तेलंगाना सरकार ने प्रवासी मजदूरों को प्रति व्यक्ति 12 किलो चावल और 500 रूपए और प्रवासी मजदूर परिवारों को 2 हजार रूपए देने का फैसला किया है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के चलते मजदूर अपने-अपने गांव जाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने प्रवासी मजदूरों को सभी सुविधाएं प्रदान करने का वादा किया है।
मुख्यमंत्री केसीआर ने कहा कि राज्य में कोई भी प्रवासी मजदूर भूखे, प्यासे नहीं रहेंगे| चाहे वे देश के किसी भी कोने से क्यों न हो| उनका ख्याल रखना हमारा जिम्मेदारी है| उनको अपना परिवार की तरह देखेंगे, वे तेलंगाना के विकास के प्रतिनिधि हैं|
मुख्यमंत्री ने प्रवासी मजदूरों से कहा कि आप लोग हमारे राज्य के विकास के लिए आये हैं, राज्य की सेवा करने के लिए आये हैं, इसलिए हम आपको हमारे भाई, बंधू और बेटे समझते हैं। आप किसी चीज़ की फ़िक्र न करें। आपकी हर जरूरत का ख़याल रखा जाएगा।
केसीआर ने कहा कि सर्वे के बाद पता चला कि तेलंगाना में करीब साढ़े 3 लाख प्रवासी मजदूर हैं जो ज्यादातर बिहार ओडिशा, झारखण्ड और तमिलनाडु राज्य के हैं। अधिकांश मजदूर रंगारेड्डी, मेडचल, हैदराबाद, रामगुंडम और खम्मम जिलों में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों की लिस्ट को चीफ सेक्रेटरी स्वयं देख रहे हैं। इसलिए किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि किसी प्रवासी मजदूर को किसी भी तरह की तकलीफ हो तो वे लोकल कलेक्टर, एमएलए, तहसीलदार, सरपंच या पुलिस से मिल सकते हैं। उनकी हर जरूरत का ख़याल रखा जाएगा।