घर के पीछे सरकारी मिडल स्कूल है. हमारा भी बालकाण्ड इसी स्कूल में बीता है. आज स्कूल में बाराती आया है कहीं से. आइए आपको ले चलते हैं बाराती का दर्शन करवाने.
बिहार का एगो खास बात है आप चाहे लाख होटल, मैरिज हॉल बनवा लीजिए, बरियाती ठहरने का जो मजा सरकारी स्कूल में है ऊ कहीं नहीं.
पोआर बिछा के दरी के ऊपर टेंट हाउस वाला उजरा गुलाबजामुन जैसा तकिया फेंका-फेंकी में अलग लेवल का आनन्द आता है. खिड़की से सन्न-सन्न पछिया बह रहा है आ खिड़की का एगो पल्ला गायब है. दीवार से पीठ लगाकर बैठिए त दीवार का आधा चूना झड़ जाता है. बाहर लड़के का फूफा लड़की के चच्चा से अलगे लड़ रहा है “बताइए ईहाँ दीशा-पैखाना का कोई बेवस्थे नहीं है.. हमारा लड़का कहाँ जाएगा.
लाइट का भी कोनो ठीक जोगाड़ नहीं देख रहे हैं. ई घुप्प अन्हार में हम आज अर्थिंग पर मूत आते. बताइए हमारा तो जीवने अन्हार हो जाता. अरे पैसा का कमी था तो बताते हमही आकर सब बेवस्था कर जाते.”
स्कूल के गेट पर रिमझिम बैंड पार्टी का रंगरूट सब फिरंगी आर्मी जैसा ड्रेस पहिने ढोल-ताशा बजाए बेहाल पड़ा है. पिंपनी वाला अपना फेफड़ा का पूरा दम झोंक दे रहा है. आ स्टार गायक हाथ में आधा घण्टा से माइक लेकर खाली “रेडी वन टू थ्री, वन टू थ्री” कर रहा है. गाना शुरू किया “अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो दर पे सुदामा गरीब आ गया है.” उधर से लड़के का बाप गला फाड़ा “साला ताड़ी पी लिया है रस्ता में, अचार चटाओ इसको. अलबला गया है. कल पैसा काटेंगे तब बुझाएगा ससुरा के..” गायक होश में आ गया. अब पंद्रह मिनट से “झिमी झिमी झिमी आजा आजा आजा” पर इसका कैसेट अटक गया है.
उधर लड़का का दोस्त सब ललका ब्लेजर पर गोल्डस्टार का जूता पहीन के विधायक के तरह भौकाल में टहल रहा है. ई दोस्त सब के नज़र में जहां ऊ बरियाती आया है ऊ दुनिया का सबसे बेकार गांव है. जहां सुपर मार्केट नहीं है. रेस्टोरेंट नहीं है. एटीएम नहीं है. लैम्बोर्गिनी का शोरूमो नहीं है. क्लासिक का सिगरेट नहीं मिला है तो गोल्ड फ्लेक पीना पड़ रहा है. घरवैया सब इनका सब हीरोपनी समझ रहा है. लेकिन आडवाणी लेवल का बर्दाश्त किया हुआ है. एक रात का तो बात है विदा करो इनको.
अब बारात दरवाजे की तरफ बढ़ रहा है. बाराती सब में माइकल जैक्सन का भूत आ चुका है. गांव में चाची-काकी-दाई सब गाड़ी में झांक-झांक के लड़का को देख रही हैं. पूरा हंसी-मजाक चल रहा है..
– ऐ चाची, लड़का का उमर थोड़ा ज्यादा नहीं बुझा रहा है..!
– रे बजरखसुआ, ऊ लड़का का बाप है. लड़का पीछे बैठा है. तुम बूढ़वा से काहे मजाक करता है.!
– ऐ चाची ई मिथिला है. ईहाँ मजाक से तो साक्षात प्रभु श्री रामचंद्र नहीं बच पाए. ई बिचारा तो रमलोचना है.. का बाबा आप काहे काजर लगा लिए हैं, बियाह त बेटवा का है ना.!
– अमन आकाश