जहानाबाद प्रखंड मुख्यालय में स्थित काको सूर्य मंदिर का प्राचीन इतिहास है। सूर्योपासना के इस विख्यात केन्द्र मे प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु छठ व्रत के लिए पहुंचते हैं। काको सूर्य पूजा एवं छठ पूजा का यह एक मुख्य केन्द्र है। ऐतिहासिक शहर काको में काको पनिहास में हजारों लोग छठ पूजा में अर्घ्य देते हैं। बताया जाता है कि इस काको पनिहास में छठव्रत करने पर सारी मनोकामनाएं पूरी होती है।
छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाता है| छठ पूजा नहाय-खाय के साथ चार दिन तक चलने वाले लोक आस्था और सूर्य की उपासना का महापर्व है| इस साल छठ का पावन पर्व 31 अक्टूबर 2019 से शुरू हो जाएगा|
काको के उत्तर-पश्चिम में एक मन्दिर है, जिसमें सूर्य भगवान की एक बहुत पुरानी मूर्ति स्थापित है। प्रत्येक रविवार को बड़ी संख्या मे लोग पूजा करने के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में पनिहास के दक्षिणी पूर्वी कोने पर राजा ककोत्स का कीला था। उनकी बेटी केकैयी इसी मंदिर में प्रतिदिन पूजा अर्चना करती थी। ककोत्सव की बेटी ही कलांतार में अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी बनी थी।
आस्था और विश्वास का सदियों से केंद्र रहा है काको शहर
ऐसी मान्यता है कि यहाँ के तालाब में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है वहीं तालाब के किनारे स्थित विष्णु भगवान की मंदिर की भी कई सरी मान्यताएं है| तकरीबन 1300 इश्वी के समय काको का नाम कोका हुआ करता था। तथा ये बोध गया जाने का एक सुगम मार्ग भी हुआ करता था| चूँकि प्राचीन समय में लोग एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए नदियों के किनारों का और उनसे संबंधित नहरों के किनारे से आवागमन करते थे और इस तालाब में पानी फल्गु नदी से भी आती थी तो लोग इस रास्ते का प्रयोग बोधगया जाने के लिए भी करते थे।
88 एकड़ में फैले इस पनिहास का जब सन् 1948 में खुदाई कराई जा रही थी तो भगवान विष्णु की प्राचीन प्रतिमा मिली था। उस प्रतिमा को प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत पनिहास के उत्तरी कोने पर स्थापित किया गया।
सन् 1950 में आपसी सहयोग के जरीए भगवान विष्णु का पंचमुखी मंदिर का निर्माण कराया गया जो आज अस्था का केन्द्र बना हुआ है। इस मंदिर के चारों कोने पर भगवान भाष्कर, बजरंग बली, शंकर पार्वती एवं मां दुर्गे की प्रतिमा स्थापित है। बीच में भगवान विष्णु की प्राचीनतम प्रतिमा को स्थापित किया गया है।
आस्था के इस महत्वपूर्ण केन्द्र को लेकर स्थानीय लोगों में उत्साह कायम रहता है। काको में हिन्दुओं की आस्था का बड़ा केंद्र काको सूर्य मंदिर और हजरत बीबी कमाल साहिबा का मकबरा ऐतिहासिक हैं, और हमारी गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल बनकर साथ खड़े रहे हैं।
हिन्द के राबिया बसरी से मारूफ वलिया हज़रत मखदुमा बीबी क्रमाल अलैहि रहमा का आस्ताने काको में है जो हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल के लिए जाना जाता हैं। इस धार्मिक स्थल पर मुस्लिमों की तरह ही हिन्दू भी बड़ी संख्या में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। हिंदुस्तान में गंगाजमुनी तहजीब और सूफी धारा को आगे बढ़ाने में हजरत मखदूमेबीबी कमाल अलैहि रहमा का बहुत महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।
-सैय्यद आसिफ इमाम काकवी